घर पर रखे सोना का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। तो उसे बैंक की खास स्कीम में जमा करके घर बैठे ब्याज ले सकते हैं। आजकल एक विज्ञापन चल रहा है जिसमें दिखाया जा रहा है कि ‘जब घर में पड़ा है सोना, तो फिर काहे को रोना’। मतलब अपने घर में रखे सोने पर ब्याज ले सकते हैं। सोचिए एक ऐसी स्कीम मिले जहां गैर-इस्तेमाल के सोने को जमा करा दें। इस जमा सोने पर घर बैठे ब्याज से आमदनी हो। बैंक एक ऐसी योजना चलाते हैं।
साल 2015 में गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम लॉन्च हुई थी। इस स्कीम का मकसद लोगों के घरों, बड़े-बड़े मंदिरों और अन्य संस्थानों के पास पड़े सोने को इकोनॉमी में लाना था। वहीं समय के साथ सोने को लेकर देश की आयात पर निर्भरता को कम करना भी लक्ष्य है।
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम से ऐसे कमाएं घर के सोने पर पैसा
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम में देश का नागरिक, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनी, चैरिटेबल संस्थान, प्रोपराइटर शिप या पार्टनरशिप फर्म, ट्रस्ट या म्यूचुअल फंड इत्यादि निवेश करके पैसा कमा सकते हैं। केंद्र या राज्य सरकारें या उनकी कंपनियां अपने सोने को इस स्कीम में कैश कर सकती हैं। सिर्फ 10 ग्राम सोना जमा करके स्कीम में पैसा कमाया जा सकता है।
देश में कुछ बैंक ‘गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम’ का लाभ देते हैं। इसके लिए बस केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) नियमों को पूरा करना है। इसके बाद बैंक सोने की शुद्धता जांच करवाएगा और इसके बदले में डिपॉजिट रसीद जारी की जाएगी। इन डिपॉजिट रसीद के बदले में बैंक ‘गोल्ड बैंक डिपॉजिट अकाउंट’ खोलेंगे। जो कि तीन तरह से खुलता है।
शॉर्ट टर्म से लॉन्ग टर्म तक ब्याज से कमाई
गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम डिपॉजिट रसीद के बदले में शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म से खाता खोल सकते है। शॉर्ट टर्म में गोल्ड डिपॉजिट 1 से 3 साल के लिए है। इसमें ब्याज बैंक तय करता है। जबकि मीडियम और लॉन्ग टर्म की डिपॉजिट स्कीम में गोल्ड सरकार के पास जमा होता है और इस पर फिक्स ब्याज मिलता है।
अगर मीडियम टर्म के लिए गोल्ड जमा करते हैं, तब ये बैंक में नहीं बल्कि सरकार के पास जमा किया जाता है। जहां पर 5 से 7 साल के समय के डिपॉजिट में 2.25 प्रतिशत का सालाना ब्याज मिलता है। लॉन्ग टर्म में ये 12 से 15 साल के लिए सरकार के पास डिपॉजिट होता है और इस पर सालाना 2.50 प्रतिशत ब्याज मिलता है।
बैंक में जमा करने के बाद क्या वापस मिलता है सोना?
इस स्कीम के तहत अगर शॉर्ट टर्म के लिए गोल्ड डिपॉजिट करते हैं, तब सोना वापस मिल जाता है। जबकि मीडियम टर्म या लॉन्ग टर्म में निवेश करने वालों को सोना वापस नहीं मिलता, बल्कि मैच्योरिटी के वक्त सोने की जो कीमत होती है, उसके हिसाब से पैसे वापस मिलते हैं। सरकार इस सोने का इस्तेमाल दूसरे काम के लिए करती है।