Equity Savings Fund यानी ईएसएफ फंड अपने पास मौजूद रकम का 15 से 35 प्रतिशत शेयरों में लगाता है। जिसे शुद्ध इक्विटी एक्सपोजर भी कहते हैं। पारंपरिक निवेशक फिक्स्ड इनकम रिटर्न से थोड़ा अधिक कमाना चाहते हैं। इसके लिए कुछ लोग कम रेटिंग वाले बॉन्ड लेते हैं। वहीं कुछ इक्विटी की राह पकड़ लेते हैं। इक्विटी सेविंग्स फंड (ईएसएफ) में निवेश के लिए इक्विटी और डेट दोनों होते हैं। इससे कर भी बच जाता है। ये फंड 19,311 करोड़ रुपए की परिसंपत्तियां संभाल रहे हैं।
ऐसे काम करते हैं फंड
ईएसएफ फंड मौजूद रकम का 15 से 35 प्रतिशत शेयरों में लगाता है। जिसे शुद्ध इक्विटी एक्सपोजर भी कहते हैं। फंड प्रबंधक नकद और वायदा के बीच arbitrage trading करता है। जिससे उसके पास मौजूद रकम में कम से कम 65 प्रतिशत इक्विटी और इक्विटी से जुड़ी योजना में पहुंच जाए। बाकी बॉन्ड में लगाई जाती है।
टाटा म्युचुअल फंड में फंड प्रबंधक का कहना है कि ‘ईएसएफ द्वारा विभिन्न श्रेणियों में निवेश से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ अधिकतम रिटर्न हासिल करने में सहायता मिलती है। इस तरह जोखिम और रिटर्न के बीच एक बढ़िया संतुलन बना रहता है। 6 सितंबर को समाप्त 1 और 3 साल की समयावधि के दौरान ईएसएफ ने अपनी श्रेणी में 9.3 फीसद और 10.9 फीसद का औसत रिटर्न दिया।
स्थिरता में मददगार
चूंकि ये फंड कम जोखिम वाले निवेशकों को बेचे जाते हैं। इसलिए फंड प्रबंधक इक्विटी का हिस्सा मुख्य तौर पर उनके लार्ज कैप शेयरों में लगता हैं। जिनमें उतार-चढ़ाव कम रहता है। वैल्यू रिसर्च के मुताबिक 31 जुलाई 2023 तक इन योजनाओं का 80 फीसद से अधिक इक्विटी आवंटन लार्ज कैप शेयरों में था।
इसी के साथ निश्चित आय आवंटन के लिए अधिकतर योजनाएं अच्छी गुणवत्ता वाले बॉन्ड को प्राथमिकता देती हैं जो कम अवधि के होते हैं। जानकारों के मुताबिक इस श्रेणी में ज्यादातर फंड की पोर्टफोलियो क्रेडिट क्वालिटी अच्छी (मुख्य रूप से एएए और समकक्ष) होती है और ये कम अवधि के होते हैं। इस तरह उनका क्रेडिट जोखिम और ब्याज दर जोखिम दोनों ही कम होते हैं।