अनदेखी पड़ रही भारी, घर-घर मरीज – – स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
अमित बिश्नोई
मेरठ। जिले में कोरोना के आंकड़े भले ही कम करके दिखाए जा रहे हो, लेकिन हकीकत यह है कि क्या शहर और क्या गांव, कोरोना हर जगह लोगों को अपना शिकार बहुत तेज़ी से बना रहा है। शहरों के मुकाबले गांव की स्थितियां भी काफी चिंताजनक हो चुकी है। आलम यह है कि गांव-गांव हर घर में लोग बीमार हो रहे हैं जबकि मौतों का सिलसिला भी बदस्तूर जारी है।
जिले के अब तक 293 गांव चपेट में
मेरठ जिले के गांव की बात करें तो 293 गांव इसकी जद में आ चुके हैं। स्वास्थ विभाग की रिपोर्ट खुद इस बात की तस्दीक करती है। रिपोर्ट पर गौर करें तो गांव में अब तक 17 सौ लोग सरकारी आंकड़ों में मिल चुके हैं। इनमें सबसे अधिक केस दौराला ब्लॉक के 22 गांवों में मिले हैं। इसके इधर होम आइसोलेशन में जाने वाले मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक जिले में रजपुरा, सरधना, सरूरपुर, माछरा, जानी खुर्द ब्लॉकों का हाल भी बेहाल है। 2020 में कोरोना जहां गांव को छू भी नहीं पाया था वहां इस बार कोहराम मचा हुआ है।
यह है सरकारी आंकड़े
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक गांव में हर दिन 2,000 से ज्यादा लोगों की जांच हो रही है। जिसमें काफी संख्या में मरीज मिल रहे हैं। हस्तिनापुर ब्लॉक के 17 गांव वायरस के शिकंजे में है । जबकि मवाना के 25 गांव इसकी गिरफ्त में आ चुके हैं। यहां पर करीब 121 मरीज मात्र बीस दिन में मिल चुके हैं। वही रजपुरा के 28 गांव के 200 लोग संक्रमित सामने आए हैं। सरधना के 38 गांव से 201 मरीज सामने आ चुके हैं। खरखौदा ब्लॉक के 26 गांव से 178 मरीज सामने आए हैं । माछरा ब्लॉक से 30 गांव से 145 एक्टिव केस मिल चुके हैं। सरूरपुर ब्लॉक के 17 गांव में 144 संक्रमित मरीज है। परीक्षितगढ़ के 18 गांव में 51 मरीज पिछले 20 दिनों में ही सामने आए हैं। मेरठ ब्लॉक के 14 गांव इसकी चपेट में है। जानी खुर्द के 33 गांव में 196 मरीज संक्रमित पाए गए हैं। रोहटा ब्लॉक के 25 गांव इसकी चपेट में है। जबकि दौराला ब्लॉक के मात्र 22 गांव में 320 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं।
भयावह होते हालात
इन आंकड़ों के हिसाब से गांव में हालात कतई सामान्य नहीं है। गांव के लोगों की माने तो यहां हर दिन काफी संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं। यहां तक की हर घर में नजले, खांसी, बुखार के मरीज हैं। इसके अलावा गांव में लगातार रहस्यमई ढंग से मौतें भी हो रही हैं। जिनका कोई भी आकलन सरकारी रिपोर्ट या सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं हो रहा है। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहरों के मुकाबले गांव में भी स्थिति भी काफी भयावह है।