Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमा रही है। पसमांदा मुस्लिम वोटर्स पर सभी दलों की नजर है। यूपी में डॉ. मोहम्मद अयूब की पीस पार्टी के पसमांदा मुस्लिमों के अच्छी खासी तादात में मतदाता है।
पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब ने बड़ा बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि मौका मिलेगा तो एनडीए से गठबंधन करने से परहेज नहीं करेंगे। डॉ. अयूब का कहना है कि यूपी में पसमांदा मुस्लिम समाज जागरूक हो गया है। सिर्फ वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है। यूपी में कुल मुस्लिम मतदाताओं का 70 प्रतिशत पसमांदा मुस्लिम मतदाता है।
मोहम्मद अयूब का सियासी चश्मा अब बदल चुका
पिछले 15 साल के दौरान हुए तीन लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब का सियासी चश्मा अब बदल चुका है । उन्हें अब भाजपा जैसे दलों के साथ भी चुनाव लड़ने में कोई परहेज नहीं हैं।
करीब डेढ़ दशक के सियासी सफर के बाद डॉ. अयूब को अब लगने लगा है कि सपा, बसपा और कांग्रेस ने मुस्लिम समाज को सिर्फ एक वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया। उनका मानना है कि ये तीनों दल चुनाव में मुस्लिमों का वोट तो लेते हैं, पर जब सत्ता में आते हैं तो समाज को न तो भागीदार बनाते हैं और न ही इनका ख्याल रखते हैं।
डॉ. अयूब का कहना है कि मौका मिलेगा तो एनडीए से गठबंधन करने से परहेज नहीं करेंगे। पूर्वांचल में पसमांदा मुस्लिमों के बड़े नुमाइंदे के तौर पर पहचान रखने वाले डॉ. अयूब ने पार्टी के गठन के बाद 2012 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज करके मुस्लिम समाज पर पकड़ का एहसास कराया था। लेकिन गठबंधन के दौर में किसी बड़े दल का साथ न मिलने से पीस पार्टी अलग-थलग पड़ गई है।
भाजपा की तरफ भी दोस्ती का हाथ बढ़ाने के प्रयास में जुटे
माना जाता है कि यही वजह है कि डॉ. अयूब अब भाजपा की तरफ भी दोस्ती का हाथ बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं। एनडीए से गठबंधन को लेकर उनके हाल के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
डॉ. अयूब का कहना है कि यूपी में पसमांदा मुस्लिम समाज जागरूक हो गया है। सिर्फ वोटबैंक बन कर नहीं रहना चाहता है। वे कहते हैं कि अब तक यह समाज सिर्फ धर्मनिरपेक्षता के नाम पर भाजपा को हराने के लिए वोट करता था, लेकिन अब यह समझ में आने लगा है कि यह विचारधारा समाज को नुकसान पहुंचा रहा है।
इसलिए अब मुस्लिम समाज ने तय किया है कि अब जो दल हमें हिस्सेदारी देगा, उसके साथ रहेंगे। उन्होंने कहा हमारी अब किसी दल से दुश्मनी नहीं है। जो हमें भागीदारी देगा, हम भी उसका साथ देंगे। चाहे वह एनडीए ही क्यों न हो।
पहले चुनाव में चार सीट जीती थी पीस पार्टी
पीस पार्टी का गठन फरवरी 2008 में हुआ था। 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में पीस पार्टी 21 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। जिसमें पार्टी को एक प्रतिशत वोट मिला था। इसके बाद 2012 में पहले विधानसभा चुनाव में पार्टी 208 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और चार सीटों पर चुनावी जीत हासिल की थी।
खुद डॉ. अयूब खलीलाबाद सीट से विधायक बने थे। इसके अलावा रायबरेली, कांठ और डुमरियागंज सीट पीस पार्टी के खाते में गई थी। हालांकि इसके बाद के किसी चुनाव में पार्टी नहीं जीत सकी है। अलबत्ता चुनाव सभी चुनावों में भाग लिया था।