आयुर्वेद में तुलसी को जड़ी बूटियों की रानी कहा जाता है। इसे लगभग सभी भारतीय घरों में उगाया और पूजा जाता है। तुलसी की मान्यता केवल पूजा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सेहत के लिए इसके कई फायदे हैं। तुलसी एक एडाप्टोजेन और स्ट्रेसबस्टर के रूप में कार्य करती है और कैंसर के इलाज में भी प्रभावी है।
अगर तुलसी के फायदे और पोषक तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन ए और सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, क्लोरोफिल आदि पाए जाते हैं, जो शरीर की बेहतर कार्यप्रणाली के लिए जरूरी होते हैं।
आयुर्वेद में ब्रोंकाइटिस, मलेरिया, दस्त, जी मिचलाना और उल्टी, एग्जिमा, पेट के अल्सर और आंखों के रोग, पेट के कीड़े साफ करने आदि में तुलसी की हरी पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेद में तुलसी के कई फायदे बताये गए हैं।
कोलेस्ट्रॉल खत्म होगा
डॉक्टर के अनुसार तुलसी में एंटीवायरल और एंटी-कोलेस्ट्रॉल गुण होते हैं। यह लिपिड को कम करने, इस्किमिया और स्ट्रोक से बचाने, उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक है। इसके उच्च एंटीऑक्सीडेंट गुण हृदय रोगों का इलाज और रोकथाम करते हैं।
सांस की बीमारी का सस्ता इलाज
तुलसी के पत्ते सांस की बीमारियों के लिए रामबाण औषधि है। यह सर्दी, फ्लू और एलर्जी से लड़ने में मददगार है। क्योंकि यह फेफड़ों को साफ करने में मदद करता है। इसके लिए आप तुलसी के पत्तों का काढ़ा या चाय पी सकते हैं।
सांसों की दुर्गंध दूर हो जाएगी
सांसों की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए भी तुलसी बहुत अच्छी है। अगर आपकी सांसों से दुर्गंध आती है तो आपको इसकी हरी पत्तियों को चबाना चाहिए। इतना ही नहीं यह मसूड़ों और दांतों से जुड़ी कई समस्याओं से राहत दिला सकती है।
सिरदर्द और बुखार में असरदार
तुलसी सिरदर्द और बुखार के लिए शीर्ष जड़ी बूटियों में से एक है। इसके लिए आप तुलसी का काढ़ा पी सकते हैं या अपनी चाय में दो से तीन तुलसी की पत्ती मिला सकते हैं।
किडनी साफ करेगा
तुलसी एक डिटॉक्सिफायर है और इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो आपके गुर्दे के लिए अच्छे होते हैं। इसके अलावा यह खून में जमा गंदे यूरिक एसिड के स्तर को भी कम करने की क्षमता रखता है।
पेट की गंदगी बाहर होगी, पाचन क्रिया मजबूत होगी
सुबह खाली पेट तुलसी का पानी पीना दिन की शुरुआत करने का एक शानदार तरीका है। यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और पाचन को आसान बनाकर पेट को साफ करता है। तुलसी के पत्ते एंटीऑक्सिडेंट से भरे होते हैं जो पाचन अंगों के कामकाज में सुधार करते हैं।
तुलसी का प्रयोग कैसे करें
तुलसी के पत्तों में मरकरी होता है, जो इनेमल के लिए अच्छा नहीं होता है और इसलिए इसे चबाना नहीं चाहिए। जब तुलसी को चबाया जाता है तो उसमें मौजूद पारा आपके मुंह में चला जाता है, जो आपके दांतों को नुकसान पहुंचा सकता है। तो हमें तुलसी का उपयोग कैसे करना चाहिए? इसका जूस, पाउडर, चाय, टैबलेट जैसे विभिन्न रूपों में सेवन किया जा सकता है ।