उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि डिजिटल मीडिया नीति में कोई दंड का प्रावधान नहीं है, क्योंकि यह सिर्फ सरकारी नीतियों के प्रचार-प्रसार के लिए है। सरकारी सूत्रों ने बुधवार रात नीति के पैरा 2 का हवाला देते हुए कहा कि यह बहुत ही स्पष्ट और स्व-व्याख्यात्मक है। उन्होंने कहा कि डिजिटल मीडिया नीति 2024 व्यक्तियों/फर्मों को सूचीबद्ध करने और उन्हें राज्य सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञापन देने के संबंध में है।
एक अधिकारी ने कहा, “ऐसी किसी नीति में दंड या ऐसा कुछ देने का प्रावधान कैसे हो सकता है।” नीति के तहत सूचना निदेशक को किसी भी राष्ट्र-विरोधी/असामाजिक/अपमानजनक पोस्ट के खिलाफ कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत किया गया है। अधिकारी ने कहा कि इसमें प्रासंगिक कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने/उस पोस्ट को हटवाने/सूचीबद्धता रद्द करने/विज्ञापन बंद करने से लेकर कुछ भी हो सकता है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर दी गयी नई नीति को मंजूरी के बाद राजनीतिक दलों ने सरकार को जमकर घेरा क्योंकि कहा गया कि इस नई पालिसी में जो सरकार का गुणगान करेगा, उसकी नीतियों और योजनाओं का प्रसार और प्रचार करेगा तो सरकार उसे इनाम देगी वहीँ आलोचना करने पर, या आपत्तिजनक सामग्री परोसने पर दण्ड भी दिया जायेगा जो आजीवन कारावास भी हो सकता है. नई नीति के तहत सरकार के काम को बढ़ावा देने के लिए इनफ्लुएंसर/एजेंसियों/फर्मों को हर महीने 8 लाख रुपये तक मिल सकते हैं।
योगी सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस के वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सवाल किया कि क्या भाजपा विरोधी या सरकार विरोधी टिप्पणियों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ माना जाएगा? उन्होंने सरकार से ‘आक्रामक टिप्पणी’ की परिभाषा पूछी। खेड़ा ने आरोप लगाया कि इंजन वाली सरकारें अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की तैयारी कर रही हैं? इंडिया गठबंधन के विरोध के कारण मोदी सरकार को ब्रॉडकास्ट बिल, 2024 वापस लेना पड़ा लेकिन अब पिछले दरवाजे से तानाशाही लाई जा रही है?