मणिपुर में भाजपा सरकार संकट में आ गयी है क्योंकि बीरेन सिंह सरकार से सहयोगी एनपीपी ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एनपीपी ने इस संबंध में पत्र भेजा है। बता दें कि एनपीपी के 7 विधायक हैं। हालांकि एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेने से बीरेन सिंह सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन राज्य में लगातार जारी अराजकता के बीच एनपीपी द्वारा समर्थन वापस लेना एक बड़ा कदम है। इस खबर के बाद गृहमंत्री अमित शाह अपनी महाराष्ट्र की सभी रैलियां रद्द करके दिल्ली वापस चले गए थे.
राज्य में विधानसभा सदस्यों की कुल संख्या 60 है। एनडीए के कुल विधायकों की संख्या 53 है। इनमें भाजपा के विधायकों की संख्या 37 है, जबकि उसे एनपीएफ के 5, जेडीयू के 1 और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। एपीपी के सात विधायक भी एनडीए को समर्थन दे रहे थे, लेकिन उन्होंने नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। वहीं विपक्षी दलों में कांग्रेस के पांच और केपीए के दो विधायक हैं।
भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को लिखे पत्र में एनपीपी ने दावा किया कि पिछले कुछ दिनों में मणिपुर में स्थिति खराब हुई है और कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है तथा राज्य के लोग काफी कष्ट झेल रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी ने बीरेन के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से अपना समर्थन तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला किया है।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति को लेकर रविवार को समीक्षा बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री ने शीर्ष अधिकारियों को पूर्वोत्तर राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने का निर्देश दिया। बता दें कि मणिपुर पिछले साल मई से जातीय संघर्ष से जूझ रहा है। पिछले साल महिलाओं और बच्चों के शव बरामद होने के बाद मणिपुर में विरोध प्रदर्शन और हिंसा हुई थी। उसके बाद से वहां स्थिति अस्थिर बनी हुई है।