मेरठ। मेरठ छावनी परिषद चुनाव टलने के आसार हैं। बुधवार की दोपहर से छावनी परिषद के चुनाव टलने के अटकलों का दौर जारी है। इससे दावेदारों में खलबली मची हुई है। हालांकि चुनाव टलने की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन चुनाव टलने की अटकलों ने दावेदारों को सकते में डाल दिया है। दरअसल, दावेदारों की तरफ से चुनाव को लेकर सभी कार्य पूरे हो गए हैं।
वोट कटने से मतदाताओं में आक्रोश
वर्ष 2015 में मेरठ में छावनी के मतदाताओं की संख्या 63000 थी। कोर्ट के आदेश पर छावनी के करीब 50 प्रतिशत लोगों के वोट काट दिए गए। वोट कटने के बाद ये संख्या लगभग 28000 रह गई है। ऐसे में मतदाताओं में आक्रोश है। वहीं प्रत्याशी भी इस बात से नाराज हैं की मतदाता जो विधानसभा में वोट करता है उसको छावनी बोर्ड में चुनाव का अधिकार नहीं है। इन बातों को उच्च स्तर पर भी जिला स्तर के माध्यम से भेजा गया है।
परिणाम स्वरूप सरकार की तरफ से इस संबंध में वैचारिक निर्णय लेने तक चुनाव स्थगित करने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। मेरठ छावनी बोर्ड चुनाव इससे पहले 2003 में बोर्ड भंग होने के बाद पिटीशन के चलते वर्ष 2010 में चुनाव हुए थे। छावनी के रिहायशी क्षेत्रों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने के साथ कैंट बोर्ड एक्ट 2020 को भी लागू किया जाना है, जिसके चलते संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया पर विराम लगाने की तैयारी केंद्र सरकार की तरफ से की जा रही है।देर रात तक दावेदारों के साथ विभागीय अधिकारी भी चुनाव स्थगित होने की पुष्टि में जुटे रहे। छावनी परिषद सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिसूचना जारी होने के बाद आपात स्थिति में ही चुनाव स्थगित किए जाते हैं।
दावेदारों में मायूसी
कैंट बोर्ड चुनाव के टलने की आहट मात्र से दावेदारों में मायूसी छाई हुई है। आज गुरुवार को दावेदार कैंट बोर्ड के आफिस में फोन कर कैंट बोर्ड चुनाव के मामले में अपडेट लेते रहे। हालांकि अभी अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। माना जा रहा है कि इस साल भी कैंट बोर्ड के चुनाव टल जाएंगे।