केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप आज नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्लाह ने पहले मुख्यमंत्री के रूप में सहयोगी पार्टी कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी की मौजूदगी में शपथ ज़रूर ली लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उमर अब्दुल्लाह सरकार से खुद को दूर रखा और सरकार को बाहर से ही समर्थन देने का फैसला किया, हालाँकि कांग्रेस पार्टी को एक कैबिनेट मंत्री पद का ऑफर दिया गया था.
शपथ ग्रहण के बाद जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने घोषणा की कि कांग्रेस इस बार जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल नहीं होगी। पार्टी की जम्मू-कश्मीर इकाई की ओर से जारी बयान में जेकेपीसीसी प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि पार्टी का यह फैसला केंद्र द्वारा क्षेत्र को राज्य का दर्जा बहाल करने में विफल रहने से असंतोष के कारण लिया गया है। कांग्रेस पार्टी फिलहाल जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्रालय में शामिल नहीं हो रही है।
कांग्रेस ने केंद्र से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की जोरदार मांग की है, इसके अलावा प्रधानमंत्री ने भी सार्वजनिक बैठकों में बार-बार यही वादा किया है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया गया है। हम नाखुश हैं, इसलिए फिलहाल हम मंत्रालय में शामिल नहीं हो रहे हैं।’ जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख ने आगे कहा कि पार्टी जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेगी। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस को उमर अब्दुल्ला कैबिनेट में एक मंत्री पद की पेशकश की गई थी। हालांकि, पार्टी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उमर अब्दुल्ला सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया।
कांग्रेस का यह बयान जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद आया। श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में आयोजित एक भव्य समारोह में लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने अब्दुल्ला को पद की शपथ दिलाई।