उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विपक्षी समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में अपने शासन के दौरान मुख्यमंत्री के पास कुंभ की व्यवस्थाओं की समीक्षा करने का समय नहीं था और “एक गैर-सनातनी (आज़म खान) को इसका प्रभारी बनाया गया”। योगी आदित्यनाथ 2013 में आयोजित कुंभ का जिक्र कर रहे थे जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
राज्य विधानसभा में अपने संबोधन में आदित्यनाथ ने कहा कि हमने आपकी तरह आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं किया है। आपके समय में मुख्यमंत्री के पास आयोजन को देखने और समीक्षा करने का समय नहीं था और इसलिए उन्होंने एक गैर-सनातनी को कुंभ का प्रभारी नियुक्त किया। लेकिन मैं खुद कुंभ की समीक्षा कर रहा था और अभी भी कर रहा हूं। यही कारण है कि 2013 में जो भी कुंभ गया, उसने अव्यवस्था, भ्रष्टाचार और प्रदूषण देखा। गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करने लायक पानी नहीं था।
आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि पिछले डेढ़ महीने में वामपंथी और समाजवादियों ने महाकुंभ को लेकर सोशल मीडिया पर जहरीले बयान दिए। उन्होंने कहा, “गंदगी, अव्यवस्था और पर्यटकों की परेशानी के अलावा उन्हें वहां कुछ और नहीं मिला। हज के दौरान हुई सैकड़ों मौतों पर चुप्पी है। कुंभ व्यवस्थाओं की आलोचना करने वाले विपक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि कुंभ में “गिद्धों को सिर्फ लाशें और सूअरों को सिर्फ गंदगी मिली। वहीँ सज्जनों को सज्जनता मिली, गरीबों को रोजगार मिला, अमीरों को व्यापार मिला। भक्तों को साफ-सुथरी व्यवस्था मिली । इसका मतलब है कि सभी ने अपने स्वभाव और चरित्र के अनुसार चीजों को देखा और महसूस किया है।” उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने अपने शासन के दौरान कुछ नहीं किया और कुंभ को अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का शिकार बना दिया, वे अब महाकुंभ पर टिप्पणी कर रहे हैं।
आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा कि ऐसा करके वे भारत की भावनाओं से खेल रहे हैं। महाकुंभ में एक खास समुदाय के साथ भेदभाव के समाजवादी पार्टी के सदस्यों के आरोपों को झूठा बताते हुए उन्होंने कहा, “जाति, क्षेत्र, मत या धर्म के आधार पर कोई पक्षपात नहीं किया गया। किसी भी तरह का कोई भेदभाव नहीं किया गया।” मुख्यमंत्री ने कहा, “सभी लोग एक ही घाट पर स्नान कर रहे हैं। इससे बड़ा एकता का संदेश क्या हो सकता है और यही सच्चा सनातन धर्म भी है।” आदित्यनाथ ने कहा, “आपने (विपक्ष ने) कहा कि एक खास जाति को वहां जाने से रोका गया। किसी भी जाति को नहीं रोका गया।