इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच के स्थानीय निकाय चुनाव कराने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज रोक लगाते हुए ओबीसी कमीशन को 31 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि तब तक कामकाज को संभालने के लिए नियुक्त किया गया एडमिनिस्ट्रेटर कोई बड़ा नीतिगत फैसला नहीं ले सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उन निकायों के कामकाज के लिए विशेष समिति बनाने का निर्देश दिया है जिनका कार्यकाल पूरा हो चुका है.
डीलिमिटेशन प्रकिया तीन महीने में पूरी करने की बात
बता दें कि यूपी सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्य में डीलिमिटेशन की प्रकिया को तीन महीने में कर लिया जायेगा. जिसे शीर्ष अदालत ने लम्बा समय बताते हुए सवाल किया कि क्या इसे और कम समय में पूरा नहीं किया जा सकता, जिसपर यूपी सरकार की तरफ पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) ने नियुक्त कमीशनअध्यक्ष से पूछकर बताने की बात कही.
दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर तीन हफ़्तों में माँगा जवाब
SG ने मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में हुए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि तीन महीनों के लिए 3 सदस्यों की कमेटी बना कर एडमिन को छोड़ दुसरे कामों को जारी रखा जा सकता है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी जिसमें जनवरी तक निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. इस मामले में शीर्ष अदालत ने दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर तीन हफ्तों में जवाब मांगा है.
योगी सरकार के फैसले के खिलाफ दायर थी 92 याचिकाएं
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देशित किया है कि वह निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के लिए नया नोटिफिकेशन जारी करे. सीजेआई ने सुनवाई के दौरान खास तौर पर कहा कि हाई कोर्ट ने अपने फैसलों में सभी तथ्यों का ध्यान रखा है हालाँकि राज्य सरकार इन तथ्यों को ध्यान में नहीं रखा. बता दें कि निकाय चुनाव में OBC रिजर्वेशन के खिलाफ 92 याचिकाएं दाखिल हैं. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को जहां एक जीत बताया जा रहा हैं लेकिन फैसले को देखा जाय तो उसने यूपी सरकार की काफी खिंचाई भी है.