Wheat rice stock: केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री ने कर्नाटक को चावल की आपूर्ति से मना किए जाने के बाद उत्पन्न राजनीतिक विवाद के बीच कहा कि सचिवों की समिति ने फैसला किया कि देश के केंद्रीय भंडार में चावल का स्टॉक देश के 140 करोड़ लोगों की सेवा के लिए रखा जाना जरूरी है।
केंद्र ने सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय भंडार से कई राज्यों को चावल उपलब्ध कराने या बेचने से मना कर दिया है कि अनाज की कीमत खुले बाजार में न बढ़े और लोगों को यह सस्ते में मिलता रहे।
केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री पीयूष गोयल ने कर्नाटक को चावल की आपूर्ति से मना किए जाने के बाद पैदा हुए राजनीतिक विवाद के बीच कहा कि सचिवों की समिति ने फैसला किया कि केंद्रीय भंडार में चावल का स्टॉक देश के 140 करोड़ जनता के लिए रखा जाना जरूरी है। राज्य जरूरत पड़ने पर बाजार से चावल की खरीद कर सकते हैं। मंत्री गोयल ने कहा कि मुझे यूपी और एमपी सहित कई राज्यों से चावल की मांग मिली है। लेकिन, सभी को चावल देने से मना कर दिया है।
इंडोनेशिया सहित नेपाल को टूटे चावल के निर्यात को मंजूरी
केंद्र ने कुछ देशों को गेहूं और टूटे चावल के निर्यात की अनुमति दी है। इन देशों की ओर से अनाज के निर्यात की अनुमति देने के निवेदन के बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला किया। सरकार ने 2022 में टूटे गेहूं और चावल के निर्यात पर रोक लगाई थी। सरकार की तरफ से देर रात जारी अधिसूचनाओं में बताया कि इंडोनेशिया, गांबिया और सेनेगल को 2023-24 वित्तवर्ष में टूटे चावल और नेपाल को टूटे गेहूं का निर्यात किया जाएगा। इन देशों को अनाज निर्यात करने वाले निर्यातकों को गेहूं और चावल के आवंटित कोटा के लिए बोली लगानी होगी।
इस्पात कंपनियों ने चुकाया 692 करोड
वहीं मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी इस्पात कंपनियों ने इस साल मई में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों एमएसएमई का 692.36 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया चुकता किया है। यह मई, 2022 में किए भुगतान से 35.6 प्रतिशत अधिक है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, अप्रैल-मई के दौरान सरकारी इस्पात कंपनियों ने एमएसएमई को 1,321.32 करोड़ का भुगतान किया जो कि सालाना आधार पर इस बार 23.8 प्रतिशत से अधिक है।