Banking Credit: बैंकों के बहीखाते में कुछ विशेष मानकों पर विश्लेषक अधिक गौर करते हैं। अधिकांश बैंकों की शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई) बढ़ रही है। उनके ऋण खाते में फंसे ऋण का अनुपात कम हो रहा है। यह संकेत अच्छा है। चालू एवं बचत खाते (कासा) में कमी और इसके परिणामस्वरूप शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) का नीचे खिसकना अच्छी बात नहीं। बैंकिंग कारोबार में जमाकर्ताओं द्वारा बैंकों में रखी जाने वाली रकम बहुत महत्त्वपूर्ण है। सभी बैंक जमा पर ब्याज कम और एनआईएम ऊंचा रखना चाहते हैं।
एनआईएम का उपयोग स्प्रेड के संदर्भ में
एनआईएम और स्प्रेड दो मुख्य मानदंड होते हैं। जो किसी बैंक की परिचालन क्षमता का द्योतक हैं। एनआईएम और स्प्रेड समान मानते हैं। अक्सर एनआईएम का उपयोग स्प्रेड के संदर्भ में होता है। मगर इनमें थोड़ा अंतर है। एनआईएम की गणना बैंक की शुद्ध ब्याज आय को औसत ब्याज अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों से विभाजित करके की जाती है। स्प्रेड परिसंपत्तियों पर प्रतिफल और देनदारी लागत के बीच अंतर या ब्याज आय और ब्याज व्यय के बीच परिसंपत्तियों के प्रतिशत के रूप में अंतर होता है। एनआईएम शुद्ध ब्याज स्प्रेड से कम या अधिक रह सकता है।
ब्याज दरों में इजाफा या कमी का असर किसी बैंक के पूरे ऋण खाते पर पड़ता है। उसके पूरे ऋण खाते पर लागत बदलती है। मगर जमा रकम के मामले में यह बात लागू नहीं होती है। नई दरें तभी लागू होती हैं जब जमा धनराशि परिपक्व हो या नई जमा रकम आती है।
बैंक कासा को बेहद खास मानते हैं
बैंक कासा को बेहद खास मानते हैं क्योंकि यह जमा पर लागत कम करने में जरूरी भूमिका निभाता है। कासा में ‘का’ चालू खाते के लिए है जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से कंपनियां, सार्वजनिक उद्यम और उद्यमी करते हैं। ऐसे ग्राहक प्रतिदिन कई लेनदेन करते हैं। वे कितनी रकम कई बार निकाल सकते हैं। बैंक अधिकतर चालू खाते में न्यूनतम रकम रखने के लिए कहते हैं।
चालू खाते में रकम आती-जाती रहती है इसलिए बैंक ऐसे खाते का परिचालन करने के लिए कुछ निश्चित शुल्क लेते हैं। ऐसे खातों में रखी धनराशि पर बैंकों को शुल्क नहीं देना पड़ता। इसलिए एक तरह से ये उनके लिए निःशुल्क होता है। कासा में ‘सा’ का अभिप्राय बचत खाते से है। व्यक्ति एवं गैर-व्यावसायिक लेनदेन इसी बचत खाते से किया जाता हैं। बैंक सामान्य तौर पर इन खातों से निकासी की संख्या तय कर देते हैं और न्यूनतम रकम रखने पर जोर देते हैं। शून्य बैलेंस वाले खाते होते हैं।
वर्ष 2011 तक बचत खातों पर ब्याज नियमन होता था। नियमन समाप्त होने के बाद अधिकांश बैंक 4 प्रतिशत ब्याज की पेशकश कर रहे थे। जो नियमन के दौरान न्यूनतम दर हुआ करती थी। बैंक अपना कासा बढ़ाना चाहते हैं क्योंकि जमा देनदारियों में इसका अनुपात अधिक रहने से पूंजी पर लागत कम हो जाती है।
बैंकों ने ऋण पर ब्याज बढ़ाए
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच नीतिगत दर 4 फीसद से बढ़ाकर 6.5 फीसद कर दी है। इसकी प्रतिक्रिया में बैंकों ने ऋण पर ब्याज बढ़ाए हैं। शुरू में बैंक जमा दरें बढ़ाने में संकोच कर रहे थे। ऋण आवंटन की रफ्तार बढ़ाने के लिए उन्हें रकम की जरूरत हुई इसलिए उनके बीच अधिक से अधिक जमा लाने की होड़ बढ़ गई। इससे जमा रकम पर ब्याज दरें बढ़ गईं।
एचडीएफसी लिमिटेड के साथ आने के बाद एचडीएफसी बैंक लिमिटेड का कासा कम हुआ है। जहां तक दूसरे बैंकों की बात है तो उनके ग्राहकों ने बचत खातों में जमा रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाई हैं या अधिक प्रतिफल देने वाले अन्य अवसरों का लाभ उठा रहे हैं।