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RBI News: फिसलते रुपए को RBI का सहारा, डॉलर की बिकवाली से भारतीय करेंसी को राहत

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RBI prevents rupee: पिछले कई दिनों से लगातार फिसल रहे रुपए को आरबीआई ने सहारा दिया है। डॉलर के मुकाबले रुपया 83.24 पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान 83.27 तक रुपया फिसला था। डॉलर के मुकाबले आज रुपए में तेज गिरावट देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हस्तक्षेप कर डॉलर की बिक्री की है। डीलरों ने कहा कि आरबीआई ने ऐसा करके भारतीय मुद्रा को अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर जाने से रोका है। इससे भारतीय मुद्रा के निचले स्तर में जाने से रोकने में मदद मिलेगी।

RBI बाजार में हस्तक्षेप कर रुपए में उतार-चढ़ाव का प्रबंधन कर रहा

कारोबार समा​प्ति पर डॉलर के मुकाबले रुपया 83.24 पर बंद हुआ। इससे पहले मंगलवार को रुपया 83.21 पर बंद हुआ था। मंगलवार को कारोबार के दौरान रुपया 83.27 तक नीचे आ गया था। जो इंट्राडे में ऐतिहासिक निचले स्तर 83.29 से मामूली कम था। सीआर फॉरेक्स के प्रबंध निदेशक अमित ने कहा कि आरबीआई बाजार में हस्तक्षेप कर रुपए में उतार-चढ़ाव का प्रबंधन कर रहा है। आरबीआई ने खरीद-बिक्री स्वैप इसलिए किया जिससे कि वह रुपए की गिरावट रोक सके और रुपए की तरलता पर कोई असर न हो।

डीलरों का अनुमान है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने आरबीआई की तरफ से 50 करोड़ डॉलर की बिकवाली की। केंद्रीय बैंक अक्सर विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्य​धिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए हस्तक्षेप करता है। लेकिन रुपए को किसी खास स्तर पर रखने का कोई लक्ष्य नहीं होता है।

भारत की पूरी आर्थिक स्थिति सकारात्मक

अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड के प्रतिफल में हो रही बढ़ोतरी के बाद भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन ए​शियाई बाजारों की मुद्राओं की तुलना में बेहतर है।
अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल 16 साल के उच्च स्तर पर है। डॉलर के मुकाबले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्राओं में भारतीय रुपया 5वें स्थान पर है।

येस सिक्योरिटीज इंडिया में संस्थागत इक्विटीज रिसर्च में स्ट्रैटजिस्ट हितेश जैन ने कहा कि अगर अमेरिकी डॉलर की तुलना में अन्य मुद्राओं को देखें तो रुपया अपेक्षाकृत मजबूत है। भारत की पूरी आर्थिक स्थिति सकारात्मक है। दीर्घावधि के लिहाज से वृद्धि परिदृश्य अच्छा है। बाजारी भागीदारों का अनुमान है कि डॉलर के मुकाबले रुपया 83.05 से 83.30 के दायरे में कारोबार करेगा।

डीलरों ने कहा कि घरेलू आर्थिक परिदृश्य बेहतर रहने से प्रतिकूल वैश्विक परिस्थितयों के बाद देसी बॉन्ड बाजार सकारात्मक बनाए है। अमेरिकी ट्रेजरी के प्रतिफल में आपूर्ति के दबाव से तेजी आ रही है मगर भारतीय बाजार में भागीदार घरेलू संकेतों पर ध्यान देते हैं।
कल शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति के फैसले से पहले डीलर सावधानी बरत रहे हैं। निवेशक बड़े दांव लगाने से बच रहे हैं। 10 साल के सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल सपाट 7.24 प्रतिशत पर बंद हुआ।

अमेरिकी यील्ड में वृद्धि मुख्य रूप से आपूर्ति के दबाव में

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक डीलर ने कहा कि अमेरिकी यील्ड में वृद्धि मुख्य रूप से आपूर्ति के दबाव के कारण है। अमेरिकी बाजार में 90 प्रतिशत बॉन्ड की बिक्री आपूर्ति दबाव के कारण है। जबकि 10 प्रतिशत वृहद आर्थिक हालात की वजह से है। लेकिन भारत में अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है। ऐसे में फिलहाल अमेरिकी यील्ड पर ध्यान नहीं दे रहे। 10 साल अमेरिकी बॉन्ड का यील्ड बढ़कर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गया है। अमेरिका में ऊंची ब्याज दरें लंबे समय से बने रहने की वजह से बॉन्ड यील्ड में तेजी देखी जा रही है।

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