नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ) ने कहा कि विश्व की अर्थव्यवस्था मंदी की ओर तेजी से बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2021 में वैश्विक वृद्धि दर छह फीसद रहने के बाद चालू वित्त वर्ष में वैश्विक वृद्धि दर घटकर 3.2 फीसद तक हो सकती है। वित्त वर्ष 2023 में इसमें 2.7 फीसद की गिरावट आ सकती है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को घटाकर 6.8 फीसद कर दिया। जो कि चीन के वृद्धि दर अनुमान से बेहतर है।
मंदी की गिरफ्त में आने के कयास
कयास लगाए जा रहे हैं कि भारत मंदी की गिरफ्त में आने वाला है। किसी देश की वृद्धि दर जब सुस्त पड़ने लगती है या बेरोजगारी दर में वृद्धि होता है और महंगाई दर ऊंची होती है,तो उसके मंदी की गिरफ्त में आने की संभावना होती है। किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो तिमाहियों में लगातार गिरावट दर्ज होने पर वह देश मंदी की गिरफ्त में आ सकता है। भारत में जीडीपी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 13.5 फीसद रही और पिछले वित्त वर्ष के जनवरी से मार्च, 2022 के दौरान 4.1 फीसद रही है।
2021—22 में भी जीडीपी वृद्धि दर 8.7
वित्त वर्ष 2021-22 की दिसंबर की तिमाही के दौरान यह 5.4 फीसद रही थी। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जीडीपी वृद्धि दर 8.7 फीसद रही। बेरोजगारी के मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन बेहतर हो रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान सभी उम्र वर्ग में शहरी बेरोजगारी की दर 7.6 फीसद रही है। जो अप्रैल में 9.22 फीसद, मई में 8.21 फीसद और जून में 7.3 फीसद रही। शहरी बेरोजगारी दर में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई।
शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर में कमी आई
सीएमआईई के ताजा आंकड़ों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर अगस्त महीने में 7.68 फीसद थी। जो सितंबर महीने में घटकर 5.84 फीसद रह गई। महंगाई के मामले में स्थिति जरूर थोड़ी चिंताजनक है। उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर (सीपीआई) सितंबर महीने में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 7.41 फीसद पर पहुंच गई है। यह लगातार नौवां महीना है। जब खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक द्वारा तय ऊपरी सीमा 6.00 फीसद से ऊपर चल रही है।