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IPO के जरिए ग्लोबल लेवल पर कंपनियों ने 52 प्रतिशत कम फंड जुटाए, टॉप पर भारत

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IPO News: GlobalData के अनुसार, IPO से फंड जुटाने के लिए अगर देश के लेवल पर बात की जाए तो इस अवधि के दौरान भारत 3.8 अरब डॉलर के 152 ट्रॉन्जैक्शन्स के साथ टॉप पर है। IPO के जरिए पैसे जुटाने की प्रक्रिया में कमी देखी जा रही है। लंदन की डेटा एनॉलिस्ट और कंसल्टिंग कंपनी ग्लोबलडेटा (GlobalData) ने कैलेंडर वर्ष 2023 के लिए रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा है कि कंपनियों की तरफ से IPO के जरिए फंडरेजिंग यानी फंड जुटाने की प्रक्रिया में 52.2 प्रतिशत की कमी आई है और यह घटकर 147.2 अरब डॉलर पहुंच गई है।

भारत अमेरिका से आगे

रिपोर्ट के अनुसार, देश के लेवल पर बात की जाए तो इस अवधि के दौरान भारत 3.8 अरब डॉलर के 152 ट्रॉन्जैक्शन्स के साथ लिस्ट में टॉप पर है। भारत टॉप रैंक पर रहने की मुख्य वजह SME IPO की अधिक संख्या है। IPO के माध्यम से फंडरेजिंग के मामले में भारत के बाद दूसरा नंबर पर अमेरिका है। अमेरिका 16 अरब डॉलर के 99 डील्स के साथ दूसरे नंबर पर है। चीन ने 32.3 अरब डॉलर के 88 ट्रॉन्जैक्शन्स किए और वह तीसरे नंबर पर है।

ग्लोबलडेटा के आंकड़े?

ग्लोबलडेटा के डील डेटाबेस के विश्लेषण से पता चलता है कि दुनिया भर के स्टॉक एक्सचेंजों पर 2023 के पहले आठ महीनों में 147.2 अरब डॉलर की कुल डील वैल्यू के साथ 750 IPO लिस्टिंग रजिस्टर्ड थीं। यह 2022 में इसी अवधि के दौरान 138.6 अरब डॉलर डील वैल्यू के साथ 1,570 लिस्टिंग के मुकाबले 52.2 फीसद तेज गिरावट थी।

Asia-Pacific क्षेत्र ट्रॉन्जैक्शन में सबसे आगे

एशिया-प्रशांत क्षेत्र (Asia-Pacific region) में 491 ट्रॉन्जैक्शन किए गए। यह अन्य क्षेत्रों के मुकाबले सबसे अधिक है। इन ट्रॉन्जैक्शन्स की वैल्यू 44.4 अरब डॉलर थी। उत्तरी अमेरिका का कुछ ऐसा हाल देखने को मिला। यहां से किए ट्रॉन्जैक्शन्स लगभग एशिया-प्रशांत के करीब थे। नॉर्थ अमेरिका में 17 अरब डॉलर वैल्यू के 139 सौदे हुए।

IPO से कम फंडरेजिंग की क्या है मुख्य वजह?

GlobalData में कंपनी प्रोफाइल एनॉलिस्ट मूर्ति ग्रांधी ने कहा, ग्लोबल लेवल पर इस महत्वपूर्ण गिरावट के पीछे मुख्य वजहों में से एक को दुनिया भर में आर्थिक विकास में मंदी, कड़े मौद्रिक उपायों और बढ़ते भू-राजनीतिक संघर्षों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। अमेरिकी एसपीएसी (US SPAC) बाजार को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि नेगोशिएशन काफी कठिन हो गया था।

लिक्विडेशन का खतरा

इसके अलावा, बड़ी संख्या में SPAC हैं जिन्होंने अभी तक योजनाओं का खुलासा नहीं किया है या डी-एसपीएसी (de-SPAC) प्रक्रिया पूरी नहीं की है, जिससे आगामी महीनों में उनकी समाप्ति की समय सीमा नजदीक आने के कारण उन्हें लिक्विडेशन का खतरा है, विश्लेषकों का सुझाव है कि सेकंडरी बाजार में उछाल प्राइमरी बाजार को बढ़ावा देता है और इसकी वजह से,चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में IPO की रफ्तार बढ़ने की संभावना है। ग्लोबल IPO एक्टिविटी 2023 के अंत या 2024 की शुरुआत में बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि आर्थिक स्थिति और बाजार की धारणा में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

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