अमित बिश्नोई
अबकी बार 400 पार के नारे के साथ भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट के सामने आने के बाद हर कोई अपनी अपनी तरह से आंकलन करने में जुट गया है. सभी की अपनी अपनी राय है, किसी को ये सूची 400 लक्ष्य को पाते हुए नज़र आ रही है तो किसी को 272 छूने में भी हाँफते हुए दिखाई दे रही है. मतलब जिसकी जैसी निष्ठा वो इस सूची को लेकर उसी तरह से आंकलन कर रहा है. पहली सूची में 16 राज्यों को कवर किया गया है, कुछ राज्यों में सभी तो कुछ में अभी गुंजाईश रखी गयी है. बिहार, महाराष्ट्र और केरल को छोड़कर दक्षिण के राज्यों को अभी बिलकुल नहीं छुआ गया है. पहाड़ी राज्यों को पूरी तरह कवर कर लिया गया है.
सूची में उम्मीद के मुताबिक लगभग 27 फीसद मौजूदा सांसदों को किनारे कर दिया गया है, तीन मंत्री भी इसी कैटेगरी में हैं, कई विवादित चेहरों को भी किनारे कर दिया गया है जिसमें सबसे चर्चित नाम भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर का है जिन्होंने मोदी जी का दिल दुखाया था और वो उन्हें से मन से माफ़ नहीं कर पाए थे, बहरहाल पांच साल बाद उन्होंने बता दिया किया कि वाकई उन्होंने प्रज्ञा ठाकुर को मन से माफ़ नहीं किया था. इसी तरह के कई नाम और भी हैं जिनमें संसद के अंदर बसपा सांसद दानिश अली को गालियां देने वाले रमेश विधूड़ी का भी नाम है। इन 195 प्रत्याशियों की सूची में भाजपा ने 41 मौजूदा सांसदों को टिकट नहीं दिया है जो बताता है कि भाजपा इस बार बड़े बदलाव की तरफ जा रही है. इन 41 लोगों में कई बड़े नाम हैं , दिल्ली को ही लीजिये, पांच नामों का एलान और चार पर बदलाव, सिर्फ मनोज तिवारी अपनी सीट बचा पाए, शायद बिहारी वोटरों की वजह से. डॉक्टर हर्षवर्धन, दो बार के सांसद, मोदी 1 में स्वास्थ्य मंत्री, दो बार के सांसद परवेश वर्मा, राष्ट्रीय प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी। मोदी जी ने सबके टिकट काट दिए.
अब 400 पार जाना है तो कुछ कड़े फैसले तो करने ही पड़ेंगे। मोदी जी ने जब कह दिया है अबकी बार 400 पार तो फिर जाना ही होगा क्योंकि ये मोदी की गारंटी है और बकौल प्रधानमंत्री, मोदी की गारंटी का मतलब गारंटी की गारंटी। दिल्ली की तरह छत्तीसगढ़ का हाल है, यहाँ भी लगभग पूरे घर के बल्ब बदल डाले गए, 11 में 9 नए चेहरे। वहीँ नंबर के हिसाब से सबसे ज़्यादा बदलाव मध्य प्रदेश में किये गए हैं। यहाँ से जो 24 नाम घोषित किये गए हैं उनमें 11 नए हैं, असम और गुजरात में पांच पांच और झारखण्ड में दो सांसदों की बिदाई कर दी गयी. इस मामले में यूपी साफ़ सुथरा रहा, यहाँ पर नगीना को छोड़कर घोषित 51 की सूची में सभी सिटिंग सांसदों पर भरोसा जताया गया है, यहाँ तक अजय मिश्रा टेनी पर भी जिनके सुपुत्र ने चार किसानों पर थार चढ़ाकर स्वर्गलोक भेज दिया था. मोदी जी ने तब भी उनके खिलाफ एक्शन नहीं लिया था और अब भी नहीं लिया। टेनी को मोदी जी ने मन से माफ़ कर दिया था.
पहली सूची पर बारीकी से नज़र डालें तो कोई सरप्राइज़ नज़र नहीं आता. एक ही फंडा नज़र आता है और वो है जीत का। जो इसमें फिट बैठा उसे टिकट जो नहीं बैठा उसे अलग कर दिया। यही वजह है कि प्रज्ञा ठाकुर और विधूड़ी फिट नहीं बैठे और टेनी फिट बैठ रहे हैं। इस सूची में एकबात और भी नहीं दिखाई दे रही है। कहा जा रहा था कि नेताओं पर ज़मीनी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी मगर पहली सूची में 27 प्रतिशत बदलाव के बावजूद ये बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है। सूची में ज़मीनी कार्यकर्ताओं पर नेता ही हावी हैं. कार्यकर्ताओं को नेताओं से ऊपर लाने की बात मोदी जी ने ही कही थी. माना जा रहा था कि भाजपा से भी कद में बड़े हो चुके मोदी जी की इस बात का असर उम्मीदवारों की सूची में दिखेगा लेकिन ऐसा दिखा नहीं। दरअसल इस लिस्ट में भाजपा ने प्रयोग तो किया है लेकिन कोई नया प्रयोग नहीं, कोई रिस्क लेने वाला प्रयोग नहीं। मोदी जी हर उस व्यक्ति के साथ माला शेयर करने को तैयार हैं जो उन्हें 400 पार जाने में मददगार हो सके. अब कल ही बिहार में मोदी जी ने उन नितीश कुमार को अपनी माला के अंदर ज़बरदस्ती हाथ पकड़कर घसीट लिया जो उस माला के अंदर आने में हिचकिचा रहे थे, शर्मिंदगी की वजह से, साथ जो छोड़ गए थे न! हालाँकि अब इधर उधर वो खाएं नहीं जायेंगे। माला में ज़बरदस्ती इसलिए घसीटा क्योंकि बिहार में मोदी जी को नितीश की ज़रुरत जो है वरना कुछ ही दिन पहले मोदी जी की माला के अंदर राजनाथ सिंह और जे पी नड्डा को अमित शाह ने घुसने नहीं दिया था, इसकी वीडियो काफी वायरल हुई थी. मतलब मोदी जी के लिए राजनाथ और नड्डा उतने ज़रूरी नहीं जितने नितीश हैं जो उन्हें 400 पार जाने में मदद कर सकते हैं, वैसे ये सवाल अपने आप में एक सवाल है कि नितीश मददगार बनेगें या फिर बेडा गर्क करने वाले। बहरहाल देखना होगा कि भाजपा की ये पहली सूची 400 के कितना करीब और कितनी दूर रहेगी।