पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को विपक्ष के पूर्ण समर्थन के बाद राज्य बलात्कार विरोधी विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया।विधेयक के मसौदे में बलात्कार के दोषी के लिए मृत्युदंड की मांग की गई है। इसके अलावा इसमें बलात्कार के दोषी व्यक्तियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
बता दें कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के बलात्कार-हत्या की घटना के बाद मचे बवाल के बाद 2 सितंबर को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (West Bengal Criminal Law and Amendment) विधेयक 2024’ शीर्षक वाले इस विधेयक का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को संशोधित करके और उन्हें पेश करके महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा को मजबूत करना है।
इस विधेयक का उद्देश्य भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के तहत मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करना है, “पश्चिम बंगाल राज्य में उनके आवेदन में दंड को बढ़ाने और महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के जघन्य कृत्य की त्वरित जांच और सुनवाई के लिए रूपरेखा तैयार करना है।”
इस विधेयक में बलात्कार के मामलों के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। “जांच में तेजी लाने और पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए, इस विधेयक में समर्पित विशेष अदालतों और जांच टीमों का प्रस्ताव है। इन विशेष इकाइयों को महिलाओं के बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों को कुशलतापूर्वक, प्रभावी ढंग से और समय पर निपटाने के लिए आवश्यक संसाधनों और विशेषज्ञता से लैस किया जाएगा, जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों द्वारा अनुभव किए जाने वाले आघात को कम किया जा सके। महिलाओं और बच्चों पर बलात्कार या अत्याचार के मामलों की जांच के लिए ‘अपराजिता टास्क फोर्स’ का गठन किया जाएगा। टास्क फोर्स का गठन जिला स्तर पर किया जाएगा और जांच के लिए पुलिस उपाधीक्षक की अध्यक्षता में इसका गठन किया जाएगा।