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तमाशा बन गया Asia Cup

आर्टिकल/इंटरव्यूतमाशा बन गया Asia Cup

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अमित बिश्‍नोई

एशिया कप चूं चूं का मुरब्बा बन गया. जब से इसके आयोजन की शुरुआत हुई है, रोज़ ही कोई न कोई बखेड़ा होता आ रहा है. सच कहें तो एक तमाशा बन गया है एशिया कप और ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि जो लेटेस्ट अपडेट आयी है उसके मुताबिक 10 सितम्बर को भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच के लिए रिज़र्व डे रखा गया है. अगर 10 सितम्बर को मैच नहीं खेला जा सकेगा जिसकी सम्भावना काफी है, या फिर आधा अधूरा होगा तो फिर उस मैच को उसी जगह से 11 सितम्बर को आगे शुरू किया जायेगा। भारत और पाकिस्तान के फैंस के लिए तो ये खबर काफी खुश करने वाली है लेकिन क्रिकेट के लिए ये बहुत बुरी खबर है और वो इसलिए क्योंकि सुपर के सिर्फ इसी मैच के लिए रिज़र्व डे रखा गया है और किसी मैच के नहीं। मतलब एशिया कप में सिर्फ भारत और पाकिस्तान ही अहम् हैं बाकी बांग्लादेश, श्रीलंका की कोई अहमियत नहीं। ऐसा लग रहा है जैसे ये कोई मल्टीनेशनल टूर्नामेंट न होकर इंडिया-पाक के बीच बाइलेटरल सीरीज़ है।

क्रिकेट के इतिहास में किसी भी टूर्नामेंट में ऐसा पहली बार हुआ है जब रिज़र्व डे को लेकर टीमों के बीच भेदभाव किया जाने वाला है. कोलंबो का मौसम बहुत ख़राब है, 17 सितम्बर तक 70 प्रतिशत से ज़्यादा बारिश का अनुमान जताया जा रहा है. 10 सितम्बर को तो ये अनुमान 90 प्रतिशत का है. कल यानि 9 सितम्बर को बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच होने वाले मैच के दिन 80 प्रतिशत बारिश की सम्भावना बताई जा रही है. तो क्या इस मैच की कोई वैल्यू नहीं। क्या पाकिस्तान-श्रीलंका मैच की कोई अहमियत नहीं, क्या भारत-श्रीलंका मैच का कोई मतलब नहीं। इन मैचों के लिए रिज़र्व डे क्यों नहीं। क्या इसलिए कि इन मैचों में उतना विज्ञापन नहीं आएगा जितना भारत और पाकिस्तान के मैच में आता है. क्या पैसा इतना हावी हो चूका है कि मैचों को अलग कैटेगरी में विभाजित कर दिया जाने लगा है।

कहा जा रहा है कि घोषित शेडूल के हिसाब से 11 तारीख को कोई मैच नहीं है इसलिए रिज़र्व डे का फैसला किया गया है, वैसे तो 13 सितम्बर को भी कोई मैच नहीं है तो फिर 12 सितम्बर को होने वाले भारत-श्रीलंका मैच के लिए रिज़र्व डे क्यों नहीं। सबसे बड़ी बात किसी भी टूर्नामेंट के लिए सभी के लिए नियम एक जैसे होते हैं. हर टीम को बराबरी का मौका मिलता है. बीच टूर्नामेंट में भी अगर कोई संशोधन होता है उसमें सभी टीमों का ख्याल रखा जाता है. ऐसे में किसी ख़ास मैच के लिए कोई ख़ास फैसला तो भेदभाव का सीधा उदाहरण है. क्रिकेट जगत में ऐसा कभी नहीं देखा गया लेकिन एशियन क्रिकेट कौंसिल के इस एशिया कप को लेकर किये जा रहे कुछ तुगलकी फरमानों में से ये एक फरमान है।

मान लीजिये 9 सितम्बर का बांग्लादेश-श्रीलंका, 12 सितम्बर का भारत- श्रीलंका, 14 सितम्बर का पाकिस्तान-श्रीलंका और 15 सितम्बर का भारत-बांग्लादेश का मैच वाश आउट हो जाय तो बांग्लादेश और श्रीलंका को तो सिर्फ तीन तीन ही अंक मिलेंगे और नेट रन रेट जीरो। मगर 10और 11 सितम्बर को भारत -पाक का मैच नतीजखेज रहे, भारत पाकिस्तान को हरा दे तो भारत चार अंकों के साथ फाइनल में पहुँच जायेगा, सिर्फ एक मैच खेलकर, पाकिस्तान भी तीन अंक के साथ फाइनल में पहुँच जायेगा क्योंकि उसने एक मैच जीता है. ऐसे में बांग्लादेश के सिर्फ दो अंक होंगे क्योंकि एक मैच वो हार चूका है और श्रीलंका के तीन अंक, तो ये इन दोनों टीमों के साथ सरासर अन्याय होगा या नहीं. आयोजकों ने जब इस टूर्नामेंट को बर्बाद करने की ठान ही ली है तो फिर एशिया कप को पूरी तरह से बर्बाद होने दे। अपना घाटा पूरा करने के लिए एक मैच में रिज़र्व डे का तमाशा क्यों? टूर्नामेंट को लेकर अगर इतना ही गंभीर होते तो सुपर 4 के मैच हम्बनटोटा ट्रांसफर करने का फैसला सिर्फ दो घंटे में न बदलते। इतने बड़े टूर्नामेंट, जिसे मिनी विश्व कप कहा जा रहा हो, इतना घटिया आयोजन ACC की साख पर बट्टा तो लगा ही रहा है।

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