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बोफोर्स के जिन्न ने धरा रफाएल का रूप

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बोफोर्स के जिन्न ने धरा रफाएल का रूप

ज़ीनत सिद्दीक़ी

बोफोर्स के जिन्न ने धरा रफाएल का रूप

देश में अबतक दो बड़े रक्षा सौदे हुए, बोफोर्स और रफाएल और दोनों ही ऐसे विवादित सौदे साबित हुए जिसने सत्तारूढ़ सरकारों को परेशानी में डाला है. बोफोर्स तोप सौदे ने जहाँ कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंका था और आज तक कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ रहा है वहीँ रफाएल डील मोदी सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की मदद से फाइलों में बंद हो चुके इस विवादित रक्षा सौदे का जिन्न एकबार फिर बाहर निकल आया जिसने मोदी सरकार की परेशानियां बढ़ा दी हैं वहीँ बोफोर्स पर हमलों का तजुर्बा हासिल कर चुकी कांग्रेस उसी अंदाज़ में हमलावर हो गयी है जैसे कभी दूसरी विपक्षी पार्टियां हुआ करती थीं .

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जो अब राज्यसभा के मेम्बर बन चुके हैं की मदद से इस विवादित सौदे को हमेशा के लिए बंद करवाने में सरकार कामयाब हो गयी थी. इमेज बिल्डिंग के लिए हमेशा परेशान रहने वाली मोदी सरकार राहत भरी ज़िन्दगी बसर कर रही थी कि अचानक इस सौदे को लेकर फ्रांस में भूचाल आ गया और सरकार ने दोनों देशों के बीच हुए इस रक्षा सौदे में हुए भ्रष्टाचार की जाँच का आदेश दे दिया और जांच भी ऐसी वैसी नहीं, इस सौदे में शामिल मंत्री से लेकर संतरी तक सबसे पूछताछ होगी।

आगे बढ़ने से पहले इस विवादित सौदे के बारे में संक्षेप में कुछ बता दिया जाय. दरअसल साल 2016 में हुई इस डील में 36 राफेल विमानों का सौदा हुआ था. यह डील फ्रांसीसी एयरोस्पेस प्रमुख डसॉल्ट एविएशन के साथ 59 हजार करोड़ रुपये में हुई थी. इससे पहले कांग्रेस की मनमोहन सरकार पिछले सात सालों से इस डील को करने की कोशिश में थी जिसमें 126 रफाएल लड़ाकू खरीदे जाने थे लेकिन डील फाइनल नहीं पाई थी. मोदी सरकार द्वारा इस डील पर काफी राजनीति हुई, मोदी सरकार पर मंहगे सौदे और अनिल अम्बानी को फायदा पहुंचाने के आरोप लगे. सवाल उठे कि 526 करोड़ रुपये का विमान 1670 करोड़ रुपये में क्यों खरीदा गया. कांग्रेस ने तो 2019 का लोकसभा चुनाव ही चौकीदार चोर है के नारे पर लड़ा. बहरहाल प्रबंधन में माहिर पीएम मोदी राफेल के इस जिन्न को बोतल में बंद करने में कामयाब हो गए. अब आगे की बात

दरअसल यह सोया हुआ जिन्न तब बाहर निकल आया जब एक फ्रांसीसी पत्रकार यान फिलीपीन की मीडियापार्ट नाम की एक खोजी वेबसाइट में राफेल सौदे से सम्बंधित कई रिपोर्टें एक के बाद छपीं जिसमें सौदे में हुई अनियमितताओं का दावा किया गया. इन रिपोर्ट्स के छपने के बाद फ्रांस की शेरपा नाम की एक NGO जो वित्तीय अनियमितताओं को उजागर करती है ने आधिकारिक शिकायत दर्ज करवाई. रिपोर्ट में दावा किया गया कि डसॉल्ट और रिलायंस के इस जाइंट वेंचर के लिए डसॉल्ट एविएशन 94 फीसदी हिस्सेदारी लगा रहा था, वहीं रिलायंस की भागीदारी सिर्फ 51 फीसदी थी. इस रिपोर्ट में उस सुशेन गुप्ता का नाम भी सामने आया था जो कि अगस्ता वेस्टलैंड चॉपर डील घोटाले में पकड़ा गया था. इस डील में उसकी कंपनी से भी कुछ ‘संदिग्ध लेनदेन’ की बात कही गयी थी और यह लेनदेन उसे राफेल संबंधित कागजात मंत्रालय से निकालने के लिए डसॉल्ट ने दिया था.

अब इस मामले की जांच के लिए फ्रांस के राष्ट्रीय अभियोजक कार्यालय ने एक जज की नियुक्ति कर दी है. हालाँकि फ्रांस में ऐसे मामलों में न्यायिक जांच का आदेश आमतौर पर नहीं दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद आदेश हुआ है तो यह काफी गंभीर मामला है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं के मामलों की जांच करने वाले जज को विशेष अधिकार भी मिलते हैं जिसमें उसे एक्शन लेने, निर्देश देने से पहले दूसरी अथॉरिटीज से रजामंदी आदि नहीं लेनी होती.

यह सौदा तब हुआ था जब फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद थे और उनके वित्त मंत्री आज के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद फ्रांस जाकर इस डील को फ़ाइनल किया था. जांच के आदेश के बाद जहाँ ओलांद से सवाल जवाब होंगे वहीँ इमैनुएल मैक्रों से भी पूछताछ होगी। साथ ही फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियान जो डील के समय रक्षा मंत्री थे भी कटघरे में होंगे। ज़ाहिर सी बात है कि इस डील के बारे में इमैनुएल मैक्रों और जीन यवेस ले ड्रियान को काफी जानकारी होगी। क्योंकि फ्रांस में तो ऐसा हो नहीं सकता कि 59,000 करोड़ रु का रक्षा सौदा वित्त मंत्री और और रक्षा मंत्री की जानकारी के बिना हो. हालाँकि हमारे देश का मामला अलग है, यहाँ एक ही व्यक्ति सारी डील फ़ाइनल करता है और बाद में इसकी जानकारी सम्बंधित मंत्रालय और मंत्री को दी जाती है.

अब देखना यह है कि फ्रांस की जांच में क्या सच निकलकर सामने आता है. मगर जब तक जांच का नतीजा सामने नहीं आता, मोदी सरकार या कहिये पीएम मोदी की नींद तो हराम ही रहेगी। अभी तो हम यही कहेंगे कि बोफोर्स के जिन्न ने रफाएल डील का रूप ले लिया है और दोनों की मारक क्षमता बहुत तेज़ है.

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