भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को अपनी बेबाक राय के लिए जाना जाता है. उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि उनकी कही गए बातों पर कोई नाराज़ होता या फिर खुश होता है. अक्सर वो कुछ ऐसी कड़वी सच्चाइयों को अपने बयानों और बातों में सामने ले आते हैं जो कहीं न कहीं सरकार को भी मुश्किल में डाल देती हैं। गडकरी ने ऐसा ही एक और बयान दिया है जो माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर एक अपरोक्ष हमला है. गडकरी ने पुणे में एक विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में कहा कि अपने खिलाफ कही गयी बातों को शासक को सुनना पड़ता है।
गडकरी ने कहा है कि लोकतंत्र की असली परीक्षा भी यही है कि शासक को अपने खिलाफ कही गई बातों को सुनना पड़ता है। उसे सभी की राय को सहन करना होता है और उस पर आत्मचिंतन करना होता है। गडकरी ने कार्यक्रम में एक और बड़ी बात कही, उन्होंने कहा कि कलमकारों को अपने विचार खुलकर और निडरता से व्यक्त करने चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र की अगर कोई अंतिम परीक्षा है तो वह यह है कि आप शासक के सामने कितनी भी दृढ़ता से अपने विचार व्यक्त करें, शासक को इसे सहन करना ही पड़ेगा।
गडकरी ने कहा कि शासकों को उन विचारों पर विचार करना चाहिए और उन पर काम करना चाहिए। गडकरी ने कहा कि अपनी कमियों को पहचानने के लिए हमेशा आलोचकों से घिरे रहने की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी मां का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक आलोचक हमारा पड़ोसी होना चाहिए ताकि वह हमारी कमियों को बता सके। गडकरी इन दिनों महाराष्ट्र में अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं और तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि लोकसभा 2024 के चुनावी नतीजों के बाद विपक्ष ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने का ऑफर भेजा था लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा दिया था. गडकरी के इस बयान के भी कई राजनीतिक मायने निकाले गए और कहा गया गडकरी ने नई सरकार के सौ दिन पूरे होने के करीब ये बात कहकर पीएम मोदी को एक सन्देश भेजा है कि लोग विकल्प की बात करने लगे हैं