अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद से उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष की सीट खाली पड़ी थी. काफी दिन से इस बात की चर्चा चल रही थी कि आखिर अखिलेश यादव ने किसे सदन में पार्टी का नेता बनाएंगे। अब सपा प्रमुख ने नेता विपक्ष को लेकर चले आ रहे सस्पेंस को ख़त्म कर दिया है और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सिद्धार्थनगर के इटवा से विधायक माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी है.
माता प्रसाद पांडेय मुलायम सिंह यादव के काफी करीबी नेता मानते जाते थे, वो विधानसभा स्पीकर पद की ज़िम्मेदारी भी निभा चुके हैं. सात बार के विधायक माताप्रसाद पांडेय को नेता विपक्ष बनाने का फैसला आज लखनऊ में हुई समाजवादी पार्टी विधायकों की बैठक के बाद लिया गया. नेता विपक्ष के लिए सपा की तरफ से अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल और इंद्रजीत सरोज का नाम भी चल रहा था लेकिन अखिलेश माता प्रसाद पांडेय पर भरोसा जताया.
जानकारी के मुताबिक विधायकों के साथ आज करीब 3 घंटे तक बैठक करने के बाद ब्राह्मण कार्ड चलते हुए माता प्रसाद पांडेय को विधायक दल का नेता चुना. माता प्रसाद पांडेय को पार्टी का एक कद्दावर नेता माना जाता है. अखिलेश आजकल जातीय समीकरण पर ज़्यादा दे रहे हैं. आने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनावों में ब्राह्मण वोटरों को रिझाने के उद्देश्य से अखिलेश ने ये कदम बढ़ाया है. अखिलेश पहले ही पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक PDA कार्ड खेल रहे हैं और लोकसभा चुनाव में उन्हें इस PDA ने पार्टी की सीटों में एक बड़ा उछाल दिलाया। माता प्रसाद को विधायक दल का नेता बनाकर अखिलेश अब अगड़ों के वोट भी हासिल करने की कोशिश में हैं.