Share Market: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर नहीं बढ़ाने का फैसला लिया। जिससे दरें उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकने की उम्मीद फिर बढ़ गई है। फेड के इसी हफ्ते के फैसले का असर शेयर बाजार पर भी दिखा और बेंचमार्क सूचकांक आज लगातार दूसरे दिन बढ़त पर बंद हुए। अमेरिकी सरकारी बॉन्ड की यील्ड में भी इसी कारण नरमी आई है।
निफ्टी 97 अंक की बढ़त के साथ 19,231 पर बंद हुआ था
सेंसेक्स शुक्रवार को 283 अंक चढ़कर 64,364 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 97 अंक की बढ़त के साथ 19,231 पर बंद हुआ था। दो हफ्ते तक गिरावट पर बंद होने के बाद इस हफ्ते सेंसेक्स 0.9 फीसदी और निफ्टी 1 फीसदी बढ़त में रहा था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया कि 10 साल के बॉन्ड की यील्ड में हालिया तेजी के कारण दर बढ़ोतरी की जरूरत कुछ कम हो गई।
हालांकि फेड ने दरों में बढ़ोतरी का विकल्प खुला रखा है। मगर उसके रुख में नरमी से दर वृद्धि थमने की उम्मीद जग गई है। जिस कारण दुनिया भर के बाजार जोश में दिखे। 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड कई साल के उच्च स्तर से घटकर 4.65 फीसदी पर रह गई थी। पिछले महीने यह 16 साल के उच्चतम स्तर 5 फीसदी को लांघ गई थी।
फेड की बैठक से पहले आने वाले वृहद आर्थिक आंकड़े
बहरहाल विश्लेषकों ने आगाह किया कि दिसंबर में फेड की बैठक से पहले आने वाले वृहद आर्थिक आंकड़े बताएंगे कि दर बढ़ेगी अथवा नहीं।
फेड और अन्य केंद्रीय बैंकों की नजरें पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष पर भी हैं। उन्हें फिक्र है कि विवाद गहराने पर ईरान और अन्य तेल उत्पादक देश भी इसमें शामिल हो सकते हैं, जिसका असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ सकता है।
मुद्रास्फीति को लक्ष्य के भीतर लाने का प्रयास कर रहे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के लिए तेल के दाम में तेजी चुनौती खड़ी कर सकती है। अभी तक तेल बाजार पर इस संघर्ष का असर नहीं दिखा है। ब्रेंट क्रूड 87.8 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले महीने युद्ध शुरू होने से पहले के भाव से कम है।
वृहद विदेशी निवेशकों की बिकवाली की रफ्तार भी थोड़ी कम
कंपनियों के नतीजों से भी निवेशकों का हौसला बढ़ा है। अक्टूबर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी 1.72 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो अभी तक का दूसरा सर्वाधिक आंकड़ा है। वृहद विदेशी निवेशकों की बिकवाली की रफ्तार भी थोड़ी कम हुई है और शुक्रवार को उन्होंने केवल 12 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे।
विश्लेषकों ने कहा कि नरम वैश्विक आर्थिक हालात के बीच भारत में निरंतर वृद्धि देखकर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक दोबारा शुद्ध खरीदार बन सकते हैं। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने 21,680 करोड़ रुपये की निकासी की थी। इसकी वजह से सेंसेक्स और निफ्टी में पिछले साल दिसंबर के बाद लगातार सबसे ज्यादा सत्रों में गिरावट आई थी।