13 जनवरी को जहाँ भारतीय शेयर में कोहराम मचा और डेढ़ प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई वहीँ अमरीकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया भी धड़ाम हो गया और एक दिन में 58 पैसे टूटकर 86.62 ऐतिहासिकनिचला स्तर छुआ। अमेरिकी डॉलर में मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण यह गिरावट आई। एक सत्र में 6 फरवरी, 2023 के बाद सबसे ये सबसे बड़ी गिरावट है, उस दिन रुपये में 68 पैसे की गिरावट आई थी।
30 दिसंबर को 85.52 के बंद स्तर से पिछले दो हफ्तों में भारतीय मुद्रा में 1 रुपये से अधिक की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है। रुपये ने 19 दिसंबर, 2024 को पहली बार 85-प्रति-डॉलर के निशान को पार किया था।
भारतीय मुद्रा अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में 86.12 पर खुली और इंट्राडे के दौरान 1 पैसे की तेजी के साथ 86.11 पर पहुंची, लेकिन सत्र के अंत में यह 58 पैसे की गिरावट के साथ 86.62 के अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुई।
शुक्रवार को स्थानीय मुद्रा 5 पैसे की मामूली बढ़त दर्ज करने के एक दिन बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 18 पैसे गिरकर 86.04 पर बंद हुई थी। मंगलवार और बुधवार को पिछले दो सत्रों में इसमें क्रमशः 6 पैसे और 17 पैसे की गिरावट आई थी।
अभूतपूर्व गिरावट का कारण निवेशकों द्वारा अमेरिकी डॉलर की लगातार खोजबीन करना था, जिसके कारण भारतीय इक्विटी से विदेशी पूंजी की भारी निकासी भी हुई।