अभी तो ये आगाज़ है, अंजाम खुदा जाने। जी हाँ , नई मोदी सरकार के लिए या लाइन फिट बैठ रही है। कल प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार नरेंद्र मोदी ने शपथ ली, उनके साथ ही 72 और लोगों ने भी मंत्री के रूप में शपथ ली. शपथ ग्रहण का दृश्य काफी विहंगम था, मगर साथ ही नाराज़गी की आवाज़ें भी उभरने लगीं। कल ही NDA गठबंधन की सहयोगी एनसीपी ने खटपट की बातों को हवा दे दी थी और मंत्रिपरिषद में शामिल होने से इंकार कर दिया था और आज बारी शिंदे की शिवसेना की थी. अब शिवसेना शिंदे ने भी नाइंसाफी की आवाज़ उठाई है. शिंदे group का कहना है कि दो दो और एक सीट वालों कैबिनेट मंत्रालय दिया गया है लेकिन सात सांसदों वाले शिवसेना को एक भी कैबिनेट मंत्रालय नहीं दिया गया.
शिवसेना पार्टी के चीफ व्हीप श्रीरंग बारणे का कहना है कि चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और एचडी कुमारस्वामी को कैबिनेट मंत्रालय किस आधार पर दिया गया, चिराग पासवान के पास पांच सांसद हैं, जेडी एस के पास सिर्फ दो सांसद और हम का एक ही सांसद। तो फिर शिवसेना के सात सांसद होने के बाद कैबिनेट मंत्रालय क्यों नहीं दिया गया. उन्हें सिर्फ स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का ही पद दिया गया.
श्रीरंग बारणे का कहना है शिवसेना कैबिनेट में जगह की उम्मीद कर रही थी, उनका कहना है कि शिवसेना का स्ट्राइक रेट तो इन पार्टियों से कहीं ज़्यादा है, फिर भी हमें कैबिनेट मंत्री पद नहीं दिया जाना चाहिए था. बारणे ने आगे कहा कि एनडीए की दूसरी पार्टियों से सिर्फ एक एक सांसद चुना गया, उन्हें कैबिनेट मंत्रालय दिया गया तो फिर शिवसेना से नाइंसाफी क्यों? इससे पहले कल एनसीपी ने साफ़ तौर कह दिया था कि कैबिनेट मंत्रालय से कम उन्हें कुछ भी मंज़ूर नहीं, एनसीपी को भी शिवसेना शिंदे की तरह राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का ऑफर दिया गया था जिसे अजित पवार ने साफ़ तौर पर ठुकरा दिया था.