एक तरफ आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री तिहाड़ जेल पहुँच चुके हैं, ED के अनुरोध पर उन्हें शराब नीति मामले में अदालत ने 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है वहीँ एक दिन बाद ही आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं में से एक संजय सिंह को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में ज़मानत मिल गयी है, हैरानी की बात ये है कि प्रवर्तन निदेशालय ने संजय सिंह की ज़मानत का विरोध भी नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को ज़मानत देने के साथ ही कहा है कि वो केस से सम्बंधित मीडिया में किसी तरह का बयान नहीं देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही ये भी कहा कि संजय सिंह की ज़मानत की शर्तें निचली अदालत तय करे.
सुप्रीम कोर्ट से चुनाव के समय आप नेता संजय सिंह को ज़मानत मिलना न सिर्फ उनके लिए बल्कि पार्टी के लिए बड़े राहत की बात है. कोर्ट ने संजय सिंह को राजनीतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति पीबी वराले की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय से संजय सिंह को अब भी जेल में रखने की जरूरत के बारे में पूछा। संजय सिंह के वकील ने बेंच को बताया था कि मनी लॉन्ड्रिंग की पुष्टि नहीं हुई है और न ही मनी ट्रेल का पता चला है। इसके बावजूद संजय सिंह को 6 महीने से जेल में रखा हुआ है।
दरअसल संजय सिंह को जमानत मिलने पर इसलिए और भी आसानी हो गयी क्योंकि ED के पास सुप्रीम कोर्ट के उस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि क्या अब भी संजय सिंह को जेल में रखना ज़रूरी है. वहीँ बेंच ने ED से ये भी कहा कि हमें PMLA एक्ट के तहत संजय सिंह को जमानत देने पर विचार करना होगा. अगर उस तरह से ज़मानत मिलती तो ED का शराब नीति केस कमजोर पड़ जाता, इसलिए उसने कोई विरोध दर्ज नहीं कराया और संजय सिंह को ज़मानत मिलने में आसानी हो गयी.