हाथरस में एक सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के बाद आई जांच रिपोर्ट में SIT की संस्तुति पर स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर और चौकी इंचार्ज समेत 6 लोगों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। निलंबित अधिकारियों में सिकंदराराऊ के उपजिलाधिकारी, सिकंदराराऊ के पुलिस क्षेत्राधिकारी, सिकंदराराऊ के थाना प्रभारी, सिकंदराराऊ के तहसीलदार, कचौरा के चौकी इंचार्ज और पोरा के चौकी इंचार्ज शामिल हैं।
जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजकों और तहसील स्तर की पुलिस और प्रशासन को भी दोषी पाया है। भगदड़ हादसे की जांच कर रही एसआईटी ने 119 बयान दर्ज किए और मंगलवार को एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि सत्संग का आयोजन करने वाली समिति अनुमति से अधिक लोगों को आमंत्रित करने के लिए जिम्मेदार थी। उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई, जिसके बाद एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की।
रिपोर्ट के अनुसार सिकंदराराऊ के उपजिलाधिकारी ने आयोजन स्थल का निरीक्षण किए बिना ही आयोजन की अनुमति दे दी और वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी भी नहीं दी। हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में 2 जुलाई को सत्संग के दौरान हुए हादसे के तुरंत बाद गठित एडीजी जोन आगरा और अलीगढ़ के मंडलायुक्त की एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का निरीक्षण किया। जांच के दौरान प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों, आम जनता और प्रत्यक्षदर्शियों समेत कुल 125 लोगों के बयान लिए गए। साथ ही घटना से संबंधित समाचारों की प्रतियां, घटनास्थल की वीडियोग्राफी, फोटो और वीडियो क्लिपिंग की समीक्षा की गई।
प्रारंभिक जांच में एसआईटी ने प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर हादसे के लिए मुख्य रूप से आयोजनकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया। अब तक की जांच और कार्रवाई के आधार पर जांच समिति ने हादसे के पीछे बड़ी साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत पर बल दिया है।