6 December History: छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के गुंबद को ध्वस्त किया था। इसके लिए देश भर से लाखों कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे। राम नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है। अगले साल पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों इसका उद्धाटन होना है। राम मंदिर के निर्माण के इतिहास में 6 दिसंबर की तारीख बेहद खास महत्व रखती है। यह तारीख अयोध्या के इतिहास में ऐसे रूप में दर्ज है, जिसका अलग-अलग समुदायों पर प्रभाव है।
आज से ठीक 31 साल पहले 6 दिसंबर 1992 की वह तारीख थी। जब देशभर से जुटे कार सेवकों ने बाबरी विध्वंस को अंजाम दिया। इसकी वजह से लंबे समय तक देश भर में तनाव रहा था। कई जगहों पर दंगे हुए थे। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ऐतिहासिक विवाद का निपटारा कर दिया।
6 दिसंबर की तारीख पर क्या कुछ हुआ
देश भर से लाखों कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे। लाखों कार सेवकों की भीड़ अयोध्या बाबरी मस्जिद की ओर बढ़ रही थी। इनमें हजारों लोग एक साथ नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। जय श्री राम, राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, एक धक्का और दो… जैसे नारों से पूरी अयोध्या गूंज रही थी।
केंद्र की नरसिंह राव सरकार, यूपी की कल्याण सिंह सरकार और सुप्रीम कोर्ट देखते रह गए और लाखों लोगों की उन्मादी भीड़ मस्जिद के अंदर घुसती चली गई। इसके बाद ढांचे को तोड़ दिया गया। हाथों में बल्लम, कुदाल, छैनी-हथौड़ा लिए बाबरी ढांचे पर वार पर वार होते गए। जिसके हाथ में जो था, वही उस ढांचे को ध्वस्त करने का औजार बनाता गया। यह सब होने में महज दो घंटे का समय लगा। इस सारे घटनाक्रम की जांच के लिए बाद में ‘लिब्रहान आयोग’ का गठन किया गया।
हालात नहीं समझ पाए थे मजिस्ट्रेट
सुबह 11.45 मिनट पर फैजाबाद जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक ने ‘बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि परिसर’ का दौरा किया। हालांकि वे हालात को भांप नहीं पाए थे। उन्हें यह पूरा आयोजन एक सामान्य कार सेवा का कार्यक्रम लगा। समय बीतने के साथ वहां लोगों की भीड़ बढ़ती गई थी। दोपहर को अचानक भीड़ गुंबद पर पहुंचने में कामयाब हुई। उसके बाद वहां होनेवाले घटनाक्रम पर किसी का नियंत्रण नहीं रहा। भीड़ बेकाबू हो चुकी थी और गुंबद ध्वस्त।
बर्खास्त हुई थी राज्य की सरकार
इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त कर दिया। खबरें तो ऐसी थीं कि कल्याण सिंह बर्खास्तगी की सिफारिश से करीब तीन घंटे पहले इस्तीफा दे चुके थे। हालांकि ये बातें अब इतिहास हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि पुराने राम मंदिर पर बाबरी मस्जिद बनाई थी। अब वहां भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है।