एबीवीपी कार्यकर्ता चंदन गुप्ता की हत्या के लिए विशेष एनआईए अदालत ने 28 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। चंदन गुप्ता की हत्या 26 जनवरी, 2018 को कासगंज में हुए दंगों के दौरान तिरंगा यात्रा में भाग लेने के दौरान की गई थी। विशेष अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने शुक्रवार को फैसला सुनाया। आजीवन कारावास के साथ ही अदालत ने प्रत्येक दोषी पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
गुरुवार को अदालत द्वारा 28 लोगों को दोषी ठहराया था जबकि दो अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। दोषियों में से एक सलीम ने गुरुवार की कार्यवाही के दौरान अनुपस्थित रहने के बाद शुक्रवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। अदालत ने एक अन्य दोषी बरकतुल्लाह के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) भी जारी किया, जो पेश नहीं हुआ। पुलिस ने मामले के सिलसिले में शुरू में 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें मुख्य आरोपी वसीम, नसीम और सलीम शामिल थे। बाद में कई लोगों को रिहा कर दिया गया।
दोषी करार दिए गए लोगों में वसीम, नसीम, जाहिद उर्फ जग्गा, बबलू, अकरम, तौफीक, मोहसिन, राहत, सलमान, आसिफ, निशु उर्फ जीशान, खिल्लन, वसीफ, इमरान, शमशाद, जफर, शाकिर, खालिद, फैजान, इमरान, शाकिर, आसिफ कुरैशी उर्फ हिटलर, असलम कुरैशी, शवाब, साकिब और आमिर रफी शामिल हैं। इन सभी को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया।
चंदन गुप्ता की मौत कासगंज शहर में हुई झड़पों के दौरान हुई, जहां विहिप, एबीवीपी और हिंदू युवा वाहिनी के सदस्यों के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा अल्पसंख्यक बहुल बद्दूनगर इलाके से गुजरी, जिसके बाद पथराव और गोलीबारी शुरू हो गई। गोलीबारी में लगी चोटों के कारण चंदन गुप्ता की मौत हो गई। हिंसा के बाद एक सप्ताह तक कर्फ्यू लगा रहा।
चंदन के पिता ने न्याय पाने के लिए करीब छह साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी। अदालत ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा) और 124 ए (देशद्रोह) के साथ-साथ राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम और सीएलए अधिनियम के तहत दोषी ठहराया। शुरू में धीमी गति से आगे बढ़ने वाले इस मामले को बाद में त्वरित कार्यवाही के लिए लखनऊ स्थानांतरित कर दिया गया। कासगंज पुलिस ने जुलाई 2018 में आरोप पत्र दाखिल किया।