29 जनवरी को महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दौरान संगम में पवित्र स्नान करने की योजना बना रहे श्रद्धालुओं को अपनी जेब काफी ढीली करनी पड़ेगी क्योंकि इस मौके को भुनाने के लिए निजी टेंट और होटलों ने अपने किराए में लगभग तीन गुना वृद्धि की है। अनुमान है कि मौनी अमावस्या पर संगम में लगभग 10 करोड़ लोगों के डुबकी लगाने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक समीक्षा बैठक में अधिकारीयों को अलर्ट किया है कि मौनी अमावस्या पर 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए स्नान में शामिल होने की तैयारी करें।
29 जनवरी को भारी भीड़ आने उम्मीद में, होटलों, निजी टेंट और अस्थायी आवासों ने अपने किराए में बेतहाशा वृद्धि की है जिससे तीर्थयात्रियों के बीच चिंताएँ बढ़ गई हैं। महाकुम्भ होने की वजह से पहले से ही होटलों का किराया 2,500-3,000 रुपये से बढ़कर 6,000 से 7,000 रुपये हो गया था, लेकिन मौनी अमावस्या के लिए यही किराया अब 22,000 रुपये से अधिक हो गया है। इसी तरह निजी टेंट का किराया 15,000 रुपये से बढ़कर 45,000 रुपये प्रति रात हो गया है। आलीशान ठहरने की चाहत रखने वालों के लिए तीन रातों के लिए एक विशेष आलीशान कॉटेज की कीमत 2.40 लाख रुपये है, जबकि डोम सिटी में ठहरने की कीमत 91,000 रुपये तक है। इन पैकेजों में नाश्ता और भोजन जैसी ज़रूरी सुविधाएँ शामिल हैं।
मौनी अमावस्या के लिए ज़्यादातर होटल और निजी टेंट पहले ही बुक हो चुके हैं, और जो कुछ विकल्प बचे हैं, वे बहुत ज़्यादा कीमत पर बिक रहे हैं। डोम सिटी में, प्रतिदिन का किराया 35,000 रुपये से शुरू होता है और ऊपरी मंजिल पर ठहरने के लिए 91,000 रुपये तक जाता है। ये बढ़ी हुई कीमतें अन्य होटलों और टेंट सिटी में भी लागू होती हैं। महाकुंभ में IRCTC की टेंट सिटी भी इस चलन में शामिल हो गई है, जिसमें एक रात का किराया 18,000 रुपये से 20,000 रुपये तक है। उल्लेखनीय है कि मौनी अमावस्या के लिए तीन रातों की न्यूनतम बुकिंग अनिवार्य है, जिसका अर्थ है कि तीर्थयात्रियों को आवास सुरक्षित करने के लिए कम से कम 54,000 रुपये खर्च करने होंगे।
हिंदू कैलेंडर में मौनी अमावस्या को सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन संगम पर स्नान करने से पापों का नाश होता है, आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रहना, ध्यान लगाना और अनुष्ठान करना मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि इस साल आठ से दस करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान में भाग लेंगे।