सुप्रीम कोर्ट के “बुलडोजर न्याय” का आज आया फैसला वैसे तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है लेकिन फिलहाल इस फैसले पर योगी सरकार की तरफ से जो प्रतिक्रिया आयी है उसके मुताबिक उसने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे संगठित अपराध पर लगाम लगेगी और अपराधियों में कानूनी नतीजों का डर पैदा होगा।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा विध्वंस मुद्दे पर लगाम लगाने के लिए दिशा-निर्देश तय करने और यह कहने के बाद कि कार्यपालिका न्यायाधीश की तरह काम नहीं कर सकती, योगी आदित्यनाथ सरकार को विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना कारण बताओ नोटिस के आरोपियों की कोई संपत्ति नहीं गिराई जानी चाहिए।
फैसले के बाद विपक्षी दलों ने उम्मीद जताई कि उत्तर प्रदेश में “बुलडोजर आतंक” और “जंगल राज” खत्म हो जाएगा। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रशंसा की और स्पष्ट किया कि वह इस मामले में पक्ष नहीं है। उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश ‘जमीयत उलेमा-ए-हिंद बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम और अन्य’ मामले का हिस्सा था। योगी सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “सुशासन की पहली आवश्यकता कानून का शासन है। इस फैसले से अपराधियों में कानून का डर बढ़ेगा।”
इससे पहले आज, न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की दो न्यायाधीशों की पीठ ने “बुलडोजर न्याय” की तुलना कानूनविहीन स्थिति से की, जहां ताकत ही सही है। इसने कहा कि कार्यपालिका उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों की संपत्तियों को ध्वस्त करके उन्हें दंडित करने के लिए न्यायिक शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकती। पीठ ने अपने 95 पन्नों के फैसले में कहा, “यदि कार्यपालिका न्यायाधीश की तरह काम करती है और किसी नागरिक को इस आधार पर ध्वस्तीकरण की सजा देती है कि वह आरोपी है, तो यह ‘separation of powers’ के सिद्धांत का उल्लंघन है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले “बुलडोजर राज” का जश्न मनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने “अराजक स्थिति” कहा था। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि इस आदेश से बुलडोजर आतंक का अंत होना चाहिए। समाजवादी पार्टी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की और कहा कि “बुलडोजर कार्रवाई” “पूरी तरह से अन्यायपूर्ण, अनुचित, असंवैधानिक और अवैध” थी।