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वाह मोदी जी वाह! गाँधी को एक फिल्म का मोहताज बना दिया

gandhi

अमित बिश्नोई
हमें एहसानमंद होना चाहिए ‘गाँधी” फिल्म के निर्माता रिचर्ड एटेनबरो का, एक्टर बेन किंग्सले का जो उन्होंने हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गाँधी पर एक फिल्म बनाकर उन्हें दुनिया में एक पहचान दी. गाँधी फिल्म न बनती तो महात्मा यूँ ही भटकती आत्मा बने रहते, उन्हें कोई पहचानता ही नहीं। ‘गाँधी” फिल्म 1882 में रिलीज़ हुई, तब लोगों ने जाना कि कोई ऐसा भी इंसान दुनिया में था जिसने सत्य और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए सदियों तक भारत पर राज करने वाले अंग्रेज़ों को देश से खदेड़ दिया। ‘गाँधी” फिल्म ने लोगों को एक नंग धड़ंग व्यक्ति की दुनिया में पहचान कराई कि यही वो इंसान जिसने सबसे पहले अन्याय और गैरबराबरी के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में आवाज़ उठाई थी. कल्पना कीजिये ये फिल्म न बनती तो दुनिया आज उस इंसान के बारे में जान ही न पाती जिसे भारत के लोगों ने राष्ट्रपिता का दर्जा दिया। वाह मोदी जी, क्या खुलासा किया है आपने, देश के लोगों को क्या ज्ञान दिया है आपने। आपने महात्मा गाँधी का जो सम्मान किया है, ऐसा सम्मान दुनिया में शायद किसी और प्रधानमंत्री ने अपने देश के फादर ऑफ़ नेशन का नहीं किया होगा, आपने तो महात्मा गाँधी को एक फिल्म का मोहताज बना दिया, अपने चुनावी फायदे के लिए आप यहाँ तक पहुँच गए कि अपने समर्थकों को खुश करने के लिए और कांग्रेस पार्टी पर हमला करने के लिए ये बोल गए कि गाँधी फिल्म अगर न बनती तो महात्मा की कोई पहचान नहीं होती। ये कैसा चुनावी साक्षात्कार था आपका जो जिसने महात्मा गाँधी के विशाल कद को इतना छोटा करने पर आपको मजबूर कर गया.

अरे मोदी जी, अपनी चुनावी लड़ाई में महात्मा गाँधी को तो न समेटते। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की अपने चाहत में राष्ट्रपिता को छोटा दिखाने की क्या ज़रुरत थी. इस चुनाव में आपने बहुत सी ऐसी बातें कीं जो एक प्रधानमंत्री को कतई शोभा नहीं देतीं थी लेकिन वो आपकी चुनावी शैली है, सभी जानते हैं, इसलिए इसमें किसी को भी कोई हैरानी नहीं हुई, आपने मंगल सूत्र चुराने की बात की, मकान छीन लेने की बात की, भैंस खोल ले जाने की बात की, हिन्दू-मुस्लिम की बात तो आप करते ही रहते हैं लेकिन जब आपने ये कहा कि फिल्म ‘गाँधी’ से पहले महात्मा गाँधी की कोई पहचान नहीं थी तो पूरा देश अवाक रह गया, अवाक वो आपके सामने बैठे वो तीन पत्रकार भी रह गए जिनके सामने इतना बड़ा खुलासा किया, उन पत्रकारों के कानों ने भी पहली बार ऐसा सुना था तभी तो उनके चेहरों पर सन्नाटा छाया हुआ था, उन तीनों तथाकथित पत्रकारों ने पलटकर ये भी नहीं पूछा कि प्रधानमंत्री जी आपने ही कई साल पहले अपने मन की बात में ये कहा था कि मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला महात्मा गाँधी से प्रेरित थे और आज आप ये बात कर रहे हैं कि 1982 से पहले गाँधी जी की दुनिया में कोई पहचान नहीं थी, अगर गाँधी जी की पहचान नहीं थी तो फिर दुनिया की ये दो बड़ी हस्तियां महात्मा गाँधी से प्रेरित कैसे हो गयीं, खैर इन पत्रकारों में न तो इतनी हिम्मत थी और न ही उनकी हैसियत कि वो प्रधानमंत्री की बात पर कोई काउंटर क्वेश्चन कर सकें।

राहुल गाँधी ने कहा, महात्मा गाँधी के बारे में आरएसएस की शाखा से निकलने वाला नहीं समझ सकता। मोदी जी देश की आज़ादी से काफी पहले मोहनदास करमचंद गाँधी दुनिया में सबसे चर्चित व्यक्ति बन चुके थे, सितम्बर 20, 1931 में दि बर्लिंग्टन हॉक आई के संडे मॉर्निंग एडिशन की हैडलाइन थी “Most talked about Man in the world”. साथ में गाँधी जी की बड़ी सी तस्वीर जो इस बात का सबूत है कि फिल्म गाँधी बनने से 50 बरस पहले महात्मा गाँधी पूरी दुनिया में एक पहचान बन चुके थे. आपकी कही गयी बात पर किसी तरह का सबूत देना गाँधी जी के कद को छोटा करना होगा। आज पूरा देश आपकी इस बात पर हंस रहा है, शायद आपके अंध भक्तों की भी इन हंसने वालों में बड़ी संख्या होगी। मोदी जी इस चुनाव में आप इतनी बहकी बहकी बातें की हैं कि पता नहीं लोग क्या क्या कहने लगे हैं। क्या ये आपके लगातार 18 घंटे काम करने का असर है, क्या ये चुनावी जीत हासिल करने में दिनरात एक करने की थकावट का असर है या फिर किसी तरह की घबराहट या किसी तरह की चुनावी अनहोनी की आशंका के डर में आपके मुंह से ऐसी बातें निकल रही हैं।

देश में ज़्यादातर लोगों का मानना है कि आप जो भी कहते हैं उसके पीछे कोई न कोई राजनीति और चुनावी लाभ छुपा होता है लेकिन महात्मा गाँधी को एक फिल्म का मोहताज बनाने के पीछे आपको क्या लाभ मिल सकता है. क्या आपके ये कह देने से कि गांधी फिल्म से पहले कांग्रेस सरकारों ने महात्मा की पहचान के लिए कुछ नहीं किया, लोगों को यकीन हो जायेगा। लोग कांग्रेस को वोट करने की जगह भाजपा को वोट करने लगेंगे। मोदी जी कांग्रेस का वजूद महात्मा गाँधी से है न कि महात्मा गाँधी का वजूद कांग्रेस पार्टी की वजह से. दूसरे आपको जानकारी होनी चाहिए कि फिल्म गाँधी का निर्माण भारत सरकार फिल्म डिवीज़न प्रभाग के साथ हुआ था, रिचर्ड एटेनबरो ने कहा था कि अगर नेहरू का सहयोग न मिलता तो गाँधी फिल्म न बनती, एटेनबरो ने इंदिरा गाँधी को भी फिल्म के निर्माण में सहयोग के लिए क्रेडिट दिया है. तो यहाँ पर आप राजनीतिक तौर पर भी बिलकुल नाकाम हो गए हैं, अगर गाँधी को छोटा करके आपका मकसद कांग्रेस पार्टी को घेरना था तो कहना पड़ेगा कि आप अपने ही जाल में फंस गए हैं.

यहाँ पर महात्मा गाँधी की हत्या के बाद लॉर्ड माउंटबेटन के कथन को कोट करना मैं ज़रूरी समझता हूँ। “ब्रिटिश हुकूमत अपने कालपर्यन्त कलंक से बच गई, आपकी हत्या आपके देश, आपके राज्य, आपके लोगों ने की है। यदि इतिहास आपका निष्पक्ष मूल्यांकन कर सका, तो वह आपको ईसा और बुद्ध की कोटि में रखेगा। कोई क़ौम इतनी कृतघ्न और ख़ुदगरज़ कैसे हो सकती है, जो अपने पिता-तुल्य मार्गदर्शक की छाती छलनी कर दे। यह तो नृशंस बर्बर नरभक्षी क़बीलों में भी नहीं होता है और उस पर निर्लज्जता यह कि हमें इस कृत्य का अफ़सोस तक नहीं है। तो मोदी जी आपको मालूम होना चाहिए कि महात्मा गाँधी का दर्जा ईसा और बुद्ध की श्रेणी में होता है और इन लोगों की पहचान किसी फिल्म के निर्माण से नहीं हुई थी.

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