वाराणसी कोर्ट ने द्वारा हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार मिलने के बाद आज से ज्ञानवापी परिसर में 31 साल बाद पूजा-अर्चना शुरू हो गई है. अदालत के फैसले के बाद सुबह-सुबह काफी संख्या में लोग पूजा के लिए ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पहुंचे हैं. वाराणसी के डीएम ने कहा कि इस मामले में जिला कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराया गया है.
अदालत का आदेश आने के बाद रात में ही आनन् फानन तहखाने से बैरिकेडिंग हटा दी गई. ज्ञानवापी मस्जिद मार्ग की जगह ज्ञानवापी मंदिर मार्ग का बोर्ड लग गया। इस समय भारी फोर्स की मौजूदगी में श्रद्धालु व्यास तहखाने जाकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड की तरफ से ये पूजा पूजा करवाई जा रही जिसे विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और गणेश्वर द्रविड़ ने ब्यास जी के तहखाने में पूजा करवा रहे है.
जिला अदालत के इस फैसले पर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वाराणसी की अदालत द्वारा मस्जिद परिसर में पूजा करने की अनुमति देने का फैसला ‘प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ का खुला उल्लंघन है। औवेसी ने कहा कि वाराणसी कोर्ट के जिस जज ने यह फैसला सुनाया उनके रिटायरमेंट से पहले का आखिरी दिन था। 17 जनवरी को जज ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त किया था और उन्होंने सीधे फैसला सुना दिया। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने खुद कहा कि 1993 के बाद से मस्जिद में कोई नमाज नहीं पढ़ी गई हैफिर उन्हें कैसे पता कि मस्जिद के परिसर में मूर्ति है? यह सीधे तौर पर पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है।”