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कांग्रेस के लिये संजीवनी बनीं प्रियंका गांधी

आर्टिकल/इंटरव्यूकांग्रेस के लिये संजीवनी बनीं प्रियंका गांधी

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कांग्रेस के लिये संजीवनी बनीं प्रियंका गांधी

सुनील शर्मा

गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी आज भारतीय राजनीति में एक जाना-माना नाम है। लंबे अरसे तक पर्दे के पीछे रहकर कांग्रेस पार्टी को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण योगदान करने वाली प्रियंका गांधी वर्तमान में कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार की ऊर्जा बन गयीं हैं। किसान आंदोलन के दौरान प्रियंका गांधी ने अपनी शांत स्वभाव की छवि को त्याग कर अपनी आक्रामक भाषण शैली से विपक्षियों को सकते में डाल दिया है। वहीं अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसी दिखने वाली प्रियंका गांधी की रैलियों में उमड़ी भीड़ कांग्रेस में नयी जान फूंक रही है। प्रियंका गांधी को मिल रहे अपार समर्थन से कांग्रेस कार्यकर्ता भी उत्साहित हैं। माना जा रहा है कि यदि प्रियंका गांधी ने अपने तेवर बरकरार रखे तो वेस्ट यूपी में लंबे समय से उपेक्षित कांग्रेस को फिर से यूपी की राजनीति में शिखर तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी। भारतीय राजनीति के फलक पर चमक रहीं और लोकप्रियता में अपने बड़े भाई राहुल गांधी से आगे निकल चुकी प्रियंका गांधी कांग्रेस की उम्मीद हैं। लेकिन यहां तक पहुंचने का सफर प्रियंका गांधी के लिये आसान नहीं रहा। आईये जानते हैं प्रियंका गांधी के जीवन और उनके संघर्षों के बारे में…

बंदिशों के बीच नाम कमाने का रहा दबाव

12 जनवरी, 1972 को प्रियंका गांधी का जन्म हुआ तो उनकी दादी स्वः इंदिरा गांधी भी देश की प्रधानमंत्री थीं। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू प्रियंका गांधी के नाना थे और देश के लिए स्वतंत्रा संग्राम अहम योगदान देने वाले और मुख्य नेता मोती लाल नेहरू उनके परदादा थे। वहीं दादी की हत्या के बाद उनके पिता राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने। इतने नामी परिवार का सदस्य होने पर तमाम बंदिशों का सामना भी प्रियंका गांधी को करना पड़ा। वहीं खानदान की परंपरा को निभाते हुए नाम कमाने का दबाव भी उन पर रहा। मगर प्रियंका गांधी अपना करियर राजनीति के क्षेत्र में बनाने को लेकर कभी गंभीर नहीं हुईं और उन्होंने हमेशा पर्दे के पीछे रहकर पार्टी को आगे बढ़ाने का कार्य किया। अनेक अवसर ऐसे आये जब प्रियंका को कांग्रेस पार्टी में बड़ा पद मिल सकता था लेकिन वह अपने बड़े भाई राहुल गांधी का मार्गदर्शक बन उनमें छिपे राजनेता को जागृत करती रहीं।

बचपन में ही दिख गयी थी राजनेता की झलक

प्रियंका गांधी ने मात्र 16 वर्ष की आयु में सार्वजनिक मंच से भाषण देकर अपनी रगो में दौड़ रहे राजनीतिक खानदान के खून की झलक दिखा दी थी। अंतर्निर्मित और वंशानुगत नेता की गुणवत्ता लिये प्रियंका गांधी ने उन्होंने अपनी प्राथमिक और उच्च शिक्षा माडर्न स्कूल और काॅन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी, नई दिल्ली से पूरी की। उन्होंने 2010 में साइकोलॉजी विषय में स्नातक और फिर बौद्ध अध्ययन में एम.ए किया है। 18 फरवरी, 1997 को प्रियंका गांधी ने अपने बचपन के दोस्त राबर्ट वाड्रा से शादी की और वह 2 बच्चों रेहान और मिराया की मां हैं।

पार्टी में पद लिये बिना भी प्रियंका गांधी कांगे्रस के लिये महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाती रहीं। सन 2004 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने अपनी मां सोनिया गांधी के चुनावी अभियान के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभाई। 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रियंका ने उत्तरप्रदेश की करीब 10 सीटों पर जमकर रैलियां की और मतदाताओं को कांग्रेस पार्टी की तरफ लाने का काम किया।

पिता की मौत के बाद किया संघर्षों का सामना

प्रियंका गांधी का जीवन काफी संघर्षों का सामना करते हुए गुजरा। 31 अक्टूबर 1984 को उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो प्रियंका का बचपन तमाम बंदिशों से घिर गया। इसके बाद पिता राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने लेकिन 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक रैली के दौरान हुए एक बम ब्लाॅस्ट ने उनके प्राण हर लिये। इसके बाद परिवार में रह गयीं मां सोनिया गांधी जो राजनीति में आना नहीं चाहती थीं। युवा भाई जिसे राजनीति का अनुुभव नहीं था। ऐसे में पतन की ओर अग्रसर हो रही कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व उनकी मां सोनिया गांधी ने संभाला तो प्रियंका ने अपने भाई राहुल को बतौर नेता स्थापित करने का संघर्ष शुरू कर दिया। उनकी मेहनत रंग लायी और राहुल गांधी पार्टी के युवा नेता बनकर उभरे। प्रियंका चाहती तो पार्टी में बड़ा पद ले सकती थीं लेकिन पार्टी हित और बड़े भाई के प्रति प्रेम के चलते प्रियंका सदैव पर्दे के पीछे रहकर ही कार्य करती रहीं।

राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहीं प्रियंका गांधी

वर्ष 2019 में प्रियंका गांधी वाड्रा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनाया गया। यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने यूपी में कांग्रेस को संगठित और मजबूत करने का कार्य शुरू किया। जनता से जुड़े मुद्दों को उठाकर प्रियंका गांधी ने जनआंदोलन शुरू किये जिसने पार्टी में नयी जान फूंक दी। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में प्रियंका गांधी ने सरकार को हमेशा सवालों के घेरे में रखा। अनेक मौके ऐसे आये जब सत्तारूढ नेताओं के पास प्रियंका के सवालों का जवाब भी नहीं था।

वर्तमान में प्रियंका गांधी वेस्ट यूपी में रैलियां, महापंचायत आयोजित कर किसानों को कांग्रेस से जोड़ने का अभियान चला रही हैं। किसानों के बीच लोकप्रिय होती जा रहीं प्रियंका गांधी की महापंचायतों में उमड़ी भीड़ कांग्रेेस कार्यकर्ताओं को भी उत्साहित कर रही है। वेस्ट यूपी के कांग्रेस कार्यकताओं में जहां नयी जान आ गयी है वहीं पार्टी को भी प्रियंका के सहारे चुनावी रणभूमि में जीत के नगाडे़ बजते दिखाई दे रहे हैं। वर्तमान में कांग्रेस के लिये ऊर्जा का स्रोत बन गयीं प्रियंका में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की छवि देखने वाले लोग भी उनकी आक्रामक भाषण शैली के कायल हो गये हैं। हालात यह हैं कि पार्टी पदाधिकारी कांग्रेस नेतृत्व को पत्र लिखकर अपने क्षेत्र में प्रियंका गांधी की रैली कराये जाने की मांग कर रहे हैं। प्रियंका गांधी की बढ़ती लोकप्रियता ने उनको भारतीय राजनीति के शिखर पर स्थापित कर दिया है।

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