भारत और कनाडा के बीच संबंधों में सोमवार को तब नया मोड़ आया जब ओटावा ने फिर से खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का सुझाव दिया। भारत की ओर से इसपर कड़ी प्रतिक्रिया आई और नई दिल्ली ने कई कनाडाई राजदूतों को निष्कासित कर दिया तथा ओटावा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया। इससे दोनों देशों के बीच पहले से ही ठंडे संबंधों में एक बड़ी गिरावट आई। अब बड़ा सवाल ये खड़ा हुआ है कि दोनों देशों के बीच बढ़ी कडुवाहट का असर दोनों देशों के बीच वस्तुओं के द्विपक्षीय व्यापार पर तो नहीं पड़ेगा।
ऐतिहासिक रूप से देखा जाय तो भारत और कनाडा ने एक मजबूत आर्थिक साझेदारी साझा की है। 2023 में द्विपक्षीय संबंधों पर अपने नोट में, विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि व्यापार और निवेश संबंध “दोनों देशों के बीच बहुआयामी साझेदारी का एक अभिन्न अंग हैं।” 2023-24 में, कनाडा से भारत का आयात बढ़कर 4.6 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि निर्यात में मामूली गिरावट आई और यह 3.8 बिलियन डॉलर रह गया।
भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक व्यापार 2022-23 में 8.3 बिलियन डॉलर से थोड़ा बढ़कर 8.4 बिलियन डॉलर हो गया। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023 (जनवरी-अक्टूबर) में, वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 7.65 बिलियन डॉलर था, जिसमें निर्यात 4.70 बिलियन डॉलर और आयात 2.95 बिलियन डॉलर था।
भारत को अप्रैल 2000 और जून 2024 के दौरान कनाडा से 4 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी मिला है। इसके अलावा, कनाडाई पेंशन फंड ने भारत में कुल मिलाकर 75 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है और वे भारत को निवेश के लिए एक अनुकूल गंतव्य के रूप में देख रहे हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत में 600 से अधिक कनाडाई कंपनियां मौजूद हैं और 1,000 से अधिक कंपनियां भारतीय बाजार में सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं। कनाडा में भारतीय कंपनियां सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर, इस्पात, प्राकृतिक संसाधन और बैंकिंग क्षेत्र जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा को भारतीय निर्यात में रत्न, आभूषण और कीमती पत्थर, दवा उत्पाद, तैयार वस्त्र, यांत्रिक उपकरण, कार्बनिक रसायन, हल्के इंजीनियरिंग सामान, लोहा और इस्पात के सामान आदि शामिल हैं। कनाडा से भारत के आयात में दालें, अखबारी कागज, लकड़ी का गूदा, अभ्रक, पोटाश, लौह स्क्रैप, तांबा, खनिज और औद्योगिक रसायन आदि शामिल हैं।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक पिछले साल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध स्थिर रहे हैं, जो पृष्ठभूमि में चल रहे कूटनीतिक तूफान से अप्रभावित रहे हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल, भारत और कनाडा के बीच व्यापार की लचीलापन एक महत्वपूर्ण सबक को उजागर करता है – कूटनीतिक तनाव, हालांकि नुकसानदायक होते हैं, लेकिन हमेशा आर्थिक संबंधों के लिए विनाशकारी नहीं होते हैं लेकिन इस बार ये विवाद लम्बा खिंचता दिखाई दे रहा है जिसका असर दोनों देशों के बीच व्यापारिक गतिविधियोब पर भी पड़ सकता है.