गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में यूँ तो बहुत से लोगों की प्रतिष्ठा दांव पर है मगर कांग्रेस पार्टी का हाथ झटककर भाजपा का दामन थामने वाले हार्दिक पटेल की इन चुनावों में क्या भूमिका होगी, भाजपा के चुनाव अभियान में उनकी क्या भूमिका होगी, वो कहाँ से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, लड़ेंगे तो कहाँ से? कुल मिलाकर कांग्रेस के इस पूर्व नेता की प्रतिष्ठा पूरी तरह दांव पर लगी है. कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष के पद को सुशोभित करने वाले हार्दिक पटेल भाजपा में एक आम कार्यकर्ता ही हैं, हालाँकि उन्होंने भाजपा में शामिल होने के समय कहा भी था कि वह सिर्फ एक कार्यकर्ता के रूप में है प्रधानमंत्री मोदी के हाथों को और मज़बूत करना चाहते हैं.
हार्दिक पटेल का गृह क्षेत्र वीरमगांव है, 2017 के विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल की वजह से ही इस सीट पर कांग्रेस को कामयाबी मिली थी. अब जब्कि हार्दिक भाजपा में शामिल हो चुके हैं तो इस सीट को भाजपा के पक्ष में जितवाना उनके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। हार्दिक पटेल अगर खुद चुनाव लड़ते हैं तो कहाँ से लगेंगे यह अभी साफ़ नहीं है, टिकट मिलता है तो उन्हें अपनी सीट निकलाने के लिए भी काफी मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि कांग्रेस पार्टी उनके खिलाफ ज़रूर कोई मज़बूत उम्मीदवार ही उतारेगी, हो वो उम्मीदवार पाटीदार समुदाय से ही हो.
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वीरमगांव विधानसभा सीट की बात करें तो हार्दिक पटेल के इस गृह क्षेत्र में सबसे ज्यादा पाटीदार समुदाय के वोटर हैं. हार्दिक जब कांग्रेस में थे तो पपतिदार समुदाय ने उनका भरपूर साथ दिया था. हालाँकि भाजपा में पर स्थानीय लोगों ने रोष भी जताया था. हार्दिक पटेल के लिए इसबार के चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं क्योंकि पाटीदार आंदोलन के बाद उनका जो ग्राफ तेज़ी से ऊपर उठा था देखना होगा ग्राफ की वो तेज़ी अभी बरक़रार है या नहीं या फिर उसमें गिरावट शुरू हो चुकी है.