ददुआ और ठोकिया जैसे दुर्दांत डकैतों का सफाया भी एसटीएफ ने ही किया.
सीएम की सुपारी लेने की बात सामने आने पर यूपी पुलिस ने तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को इसमें शामिल किया था
एसटीएफ ने विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया.एसटीएफ का गठन 1998 में खूंखार माफिया श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए हुआ था. सीएम की सुपारी लेने की बात सामने आने पर यूपी पुलिस ने चुनिंदा अधिकारियों और तेजतर्रार पुलिसकर्मियों के साथ स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया था.बताते हैं कि श्रीप्रकाश शुक्ला के ताबड़तोड़ अपराध सरकार और पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके थे. सरकार ने उसके खात्मे का मन बना लिया था. लखनऊ सचिवालय में यूपी के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की एक बैठक हुई. ददुआ और ठोकिया जैसे दुर्दांत डकैतों का सफाया भी एसटीएफ ने ही किया. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर कैसे इतने तेजतर्रार ऑफिसर्स की दुर्दांत अपराधी ने बंदूक छीन ली, आखिर इतने महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट में पुलिस ऐसे ा लोगों को क्यों ढो रही है. टिवट् र पर लोग इसके बारे में सवाल कर रहे हैं.
क्या हुआ विकास दुबे के साथ?
पुलिस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर पहुंच रही थी, जहां गाड़ी पलटने के बाद विकास ने भागने की कोशिश की. इसी दौरान एनकाउंटर हुआ और विकास दुबे मारा गया. एसटीएफ की टीमें दो जुलाई से ही विकास दुबे की तलाश कर रही थीं. आइए जानते हैं, क्या है एसटीएफ, कब हुआ था गठन, कैसे काम करती है.विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस की एसटीएफ टीम खूब तारीफें बटोर रही है. सोशल मीडिया पर कई जगह लोग पुलिस के एनकाउंटर को लेकर खिंचाई भी कर रहे हैं.
4 मई 1998 को बनी थी एसटीएफ
यूपी पुलिस की एसटीएफ यानी स्पेशल टास्क फोर्स का गठन चार मई 1998 को हुआ था.यूपी पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट से ली गई जानकारी के अनुसार इस टास्क फोर्स का गठन खास 5 मकसदों के लिए किया गया था.
पहला मकसद
फोर्स का पहला मकसद माफिया गैंग्स के बारे में सारी जानकारी हासिल करना और फिर उसी इंटेलीजेंस पर आधारित जानकारियों पर उन गैंग्स के खिलाफ एक्शन लेना है.
दूसरा मकसद
दूसरा मकसद था कि उस गैंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए पूरी योजना बनाकर उसे कार्यरूप कैसे दिया जाए. इसमें खासकर आईएसआई एजेंट्स(हालांकि बाद में आईएसआई एजेंट्स की जिम्मेदारी एटीएस को दी गई) और बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना शामिल है.
तीसरा मकसद
इसका तीसरा उद्देश्य जिला पुलिस के साथ समन्वय करके लिस्टेड गैंग के खिलाफ एक्शन लेना था.
चौथा मकसद
एसटीएफ का चौथा मकसद डकैतों के गिरोह और खासकर अंतर डिस्ट्रिक्ट बदमाशों के गिरोहों पर शिकंजा कसके उन पर प्रभावी कार्रवाई करना है.
पांचवा मकसद
इसके अलावा विभिन्न जिलों के ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल्स् यानी माफियाओं पर शिकंजा कसना इसका पांचवा उद्देश्य है.