उत्तर प्रदेश पुलिस में आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती के आधिकारिक पत्र ने बवाल मचा दिया है। पत्र में डीजीपी मुख्यालय की ओर से सभी पुलिस कमिश्नर, एडीजी जोन, आईजी रेंज और पुलिस अधीक्षकों को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि पुलिस विभाग में सभी पद आउटसोर्सिंग के जरिए भरे जाने हैं। इस संबंध में अपनी राय 17 जून तक भेजें।
कल से वायरल यह पत्र डीजीपी मुख्यालय के स्थापना विभाग से जारी हुआ है। लेकिन देर रात स्पष्टीकरण जारी किया गया कि यह सर्कुलर गलती से जारी हो गया था। जिसे निरस्त कर दिया गया। इस पत्र के वायरल होते ही समाजवादी पार्टी की तरफ से प्रतिक्रिया आई, प्रतिक्रिया में कहा गया कि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही सचेत किया था कि ये सरकार हर नौकरी आउटसोर्स पर कर देगी, अब खबर भी आ गई कि भाजपा सरकार यूपी पुलिस में आउटसोर्स पर भर्तियां करने जा रही है। आउटसोर्स से निजी कंपनियों को लाभ पहुंचता है और युवाओं को सिर्फ धोखा मिलता है। युवाओं का भविष्य बर्बाद करने और आरक्षण न देने के लिए भाजपा सरकार ये षड्यंत्र कर रही है।
बता दें कि अपनी चुनावी रैलियों में अखिलेश यादव अग्निवीर योजना का ज़िक्र करते हुए ये बात ज़रूर कहते थे कि अगला नंबर खाकी वर्दी वालों का है, ये सरकार आ गयी तो पुलिस में सिर्फ तीन साल की भर्ती शुरू हो जाएगी.
वहीँ इस पत्र को लेकर कहा जा रहा है कि अगर गलती से ये पत्र जारी हुआ था तो डीजीपी को कार्रवाई करनी चाहिए थी। इस पत्र की वजह से पूरे प्रदेश में युवाओं में भारी नाराजगी पैदा हो गई थी। जब राजनीतिक तौर पर विपक्ष ने फजीहत करनी शुरू की उसके बाद स्पष्टीकरण आया कि सर्कुलर निरस्त कर दिया गया। ऐसा लगता है कि यह प्रस्ताव पहले से बना हुआ था जिसे जारी कर दिया गया। डीजीपी मुख्यालय में इस पर काफी मंथन हुआ। कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री डीजीपी मुख्यालय से काफी नाराज हैं और नाराजगी की गाज जल्द ही किसी बड़े अधिकारी पर गिरने वाली है। चुनाव के दौरान एक शीर्ष अधिकारी द्वारा धोखाधड़ी की खबरें सामने आई थीं। एक खेमा इस सर्कुलर को सरकार को बदनाम करने की साजिश से जोड़ रहा है।