नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दुनियाभर में 8 मार्च को मनाया जाता हैं। इस दिन नारी शक्ति को सम्मानित किया जाता हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस थीम ‘डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी’ हैं। पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी 1909 को संयुक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था।
जिसे सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 के परिधान श्रमिकों की हड़ताल के सम्मान में समर्पित किया था। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस जैसे कार्यक्रमों के आयोजन का मूल उद्देश्य नारियों को न केवल सशक्त जागरूक करना है बल्कि उन्हें समाज की उन्नति के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करना भी हैं।
भारतीय समाज में प्राचीनकाल से ही स्त्री पुरुष समानता के साक्ष्य हैं तथा नारी महिमा से इतिहास भरा पड़ा हैं। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता की परम्परा हमारे ग्रंथों में लिखी गई हैं जिसका अर्थ है जहाँ महिलाओं का सम्मान किया जाता हैं वहां देवता निवास करते हैं।
महिलाओं को सम्मान देने के लिए, महिला दिवस एक विशेष पर्व है। एक राष्ट्र में एक महिला की विशेष भूमिका होती है।
अधिक महिलाओं को शिक्षित होने और रोजगार तलाशने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाकर और लैंगिक समानता को उजागर करने वाले पाठ्यक्रम को बदलकर इसे पूरक बनाने की आवश्यकता है। जब तक ऐसा नहीं किया जाता, समग्र रूप से समाज उनकी आधी आबादी के साथ अन्यायपूर्ण रहेगा।
क्यों मनाया जाता है महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने और अधिकारों की प्रगति का वार्षिक कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत 20वीं सदी में अमेरिकी समाजवादी और श्रमिक आंदोलनों से हुई थी। उस समय महिलाएं काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने के अधिकार के लिए लड़ रही थी। 1911 में महिला दिवस का पहला उत्सव मनाया गया था।
इस दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में दस लाख से भी अधिक लोगों ने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने के लिए रैलियां निकाली थीं। इसके बाद से महिलाओं के कार्यस्थलों पर समानता से लेकर हिंसा के खिलाफ मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। हालांकि, किसी भी समूह के पास इस कार्यक्रम का स्वामित्व नहीं था। 1977 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दी गई। तभी से संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।