भारत रत्न लता मंगेशकर का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था.
उनके जीवन से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिनके बारे में आपने सुना नहीं होगा, आइए आज आपको हम उनके जीवन से जुड़े ऐसे ही अनसुने किस्से बताते हैं.
उनके सर से मात्र 13 साल की उम्र में पिता का साया उठ गया था. जिसके बाद उन्होंने अपनी विधवा मां के साथ 3 बहनें और भाइयों के लिए काम की शुरुआत की. उन्होंने गायकी को ही अपने जीवान-यापन का जरिया बनाया.
लता ने मात्र 5 साल की उम्र से गायकी शुरू कर दी थी, उन्होंने गायकी की शुरुआत मराठी फिल्म में गाना गाकर किया था. उनका पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ का ‘नाचू या गड़े’ था .
लता को पहला हिंदी गाना गाने का मौका मिला. इस गाने का नाम था ‘माता एक सपूत की’. इसके बाद भी लता का संघर्ष जारी रहा. उन्होंने काम की तलाश जारी रखी जब तक उन्हें ढ़ंग का काम नहीं मिल गया.
लता की प्रतिभा को सबसे पहले जाना था उस वक़्त के प्रसिद्ध संगीतकार मास्टर गुलाम हैदर ने. उन्होंने लता की आवाज सुनी थी और उन्हें इंडस्ट्री में लोगों तक पहुंचाने की कोशिश भी की.
फिल्ममेकर शशधर मलिक एक ‘शहीद’ नाम की फिल्म बना रहे थे. जिसमें गुलाम हैदर संगीत दे रहे थे जब लता की आवाज शशधर को सुनाई तब आवाज को बहुत पतला बताकर रिजेक्ट कर दिया था. जिसके बाद मास्टर गुलाम को ये बात चुभ गई और उन्होंने लता को स्टार बनाने की ठान ली.
साल 1948 में लता को फिल्म ‘मजबूर’ में मास्टर गुलाम हैदर में एक गाना गवाया, गाने के बोल थे ‘दिल मेरा तोड़ा’. इस फिल्म के साथ-साथ इस फिल्म गीत और संगीत दोनों हिट हो गया. इसके बाद लता इंडस्ट्री की एक जानी मानी हस्ती बन गईं.