नई दिल्ली। स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शामिल हुए। उपराष्ट्रपति ने इस दौरान एक डाक टिकट जारी किया। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विदेशों में देश की छवि धूमिल करने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब हमारे ही देश के कुछ लोग विदेश जाकर हमारी ही छवि खराब करते हैं, तो दुख होता है। इसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में विश्वास रखने वाला व्यक्ति देश की छवि को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित रखता है।
ये है विवाद
कुछ महीने पहले ब्रिटेन में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर हमला हो रहा है। देश की संस्थाओं पर हमला हो रहा है। धनखड़ ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ऋषियों की भूमि रहा है। इसने भगवान के अवतार देखे हैं, राम काल्पनिक नहीं हैं। हमारे लिए भगवान राम हमारी सभ्यता का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि स्वराज का नारा स्वामी दयानंद ने 1876 में दिया था। लोकमान्य तिलक ने इसे आगे बढ़ाया और बाद में यह एक जन आंदोलन बन गया।
भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि स्वामी दयानंद चाहते थे कि भारतीय मानसिक स्वतंत्रता प्राप्त करें। अमृतकाल के इस दौर में स्वामी जी की आत्मा सुखी होगी। विदेशी सत्ता की गुलामी खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अर्थशास्त्रियों के अनुसार भारत इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि दुनिया में संस्कृत जैसी कोई भाषा और संस्कृत जैसा व्याकरण नहीं है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। हम इसे नष्ट नहीं होने दे सकते।
रामदेव ने व्यक्त किए अपने विचार
कार्यक्रम में बाबा रामदेव ने कहा कि महर्षि दयानंद ने वेदों को शूद्रों और महिलाओं तक पहुंचाया। उन्होंने कभी भी किसी गलत बात पर समझौता नहीं किया। उन्हें जो भी गलत लगा उसके खिलाफ उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए।