फाइनली अब ये स्पष्ट हो गया है कि पीलीभीत से टिकट कटने के बाद गाँधी परिवार का भाजपा में नेतृत्व करने वाले तीन बार के सांसद वरुण गाँधी इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे, भाजपा ने तो टिकट काट ही दिया है, इसके अलावा अब न वो आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे, न ही वो सपा का ऑफर स्वीकारेंगे और न ही कांग्रेस का. बकौल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, पार्टी नेतृत्व ने उन्हें कोई बड़ी ज़िम्मेदारी देने की सोची होगी. फिलहाल टीम वरुण के मुताबिक वरुण गाँधी सुल्तानपुर में अपनी माँ के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।
इस खबर के साथ ही अब उन सभी अटकलों पर विराम लग गया कि वरुण गाँधी समाजवादी पार्टी के टिकट से पीलीभीत, या रामपुर से चुनाव लड़ सकते हैं या फिर कांग्रेस पार्टी उन्हें अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए उतार सकती है। वैसे वरुण गाँधी ने पिछले एक हफ्ते से चल रही इन अटकलों पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। वो इस पूरे मामले में चुप्पी साधे रहे.
इस बीच तरह तरह की ख़बरें वरुण गाँधी को लेकर सामने आयी. ये भी कहा गया कि दिल्ली से उनके आदमी आकर पीलीभीत से नामांकन पत्रों के चार सेट ले गए हैं और भाजपा ने अगर टिकट नहीं दिया तो वो आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेंगे, ये दावा तो टीम वरुण के लोगों ने भी किया था, इस बीच वरुण के समाजवादी पार्टी में भी जाने की बातें उठी और एक दिन पहले ही कांग्रेस की तरफ से उन्हें पार्टी में आने का ऑफर आया। लेकिन अब फिलहाल यूपी की राजनीती से वरुण गाँधी का चैप्टर ठंडा पड़ता मालूम होता है.