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गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन ने बना दिया महिलाओं को बांझ, अब करवा रही इलाज

उत्तर प्रदेशगर्भनिरोधक गोलियों के सेवन ने बना दिया महिलाओं को बांझ, अब करवा...

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बागपत। अनचाहा गर्भ से बचने के लिए महिला चिकित्सक या बुजुर्ग महिलाएं नवविवाहिताओं को गर्भनिरोधक गोलियां के सेवन की सलाह देती हैं। लेकिन गर्भनिरोधक गोलियों से महिलाओं की कोख सूख रही है। अज्ञानता में हुई ये गलती ममता के आंचल हमेशा के लिए सूना कर रही है। इसके लिए अब उपचार कराना पड़ रहा है। चिकित्सकों की माने तो शादी के बाद नवदंपति शुरुआती दौर में बच्चा पैदा करने से बचते हैं। इसके लिए नवदंपत्ति गर्भ ठहरने से बचने के लिए बिना किसी चिकित्सक सलाह के मेडिकल स्टोर से गर्भनिरोधक दवा लेते हैं। कुछ महिलाएं देखकर खुद दवाएं मंगा लेती हैं। लेेकिन इन गर्भनिरोधक दवाओं के दुष्प्रभाव भी काफी नुकसानदेह होते हैं। कुछ समय बाद ही महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी होने लगती है।

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक ऐसी पांच फीसदी महिलाएं बांझपन का शिकार हुई हैं। यानी जिले की लगभग 550 से अधिक महिलाएं इस समय बांझपन का शिकार हो गई हैं। जो जिला अस्पताल के अलावा दिल्ली,मेरठ,नोएडा, सोनीपत,गुड़गांव आदि जगहों पर उपचार करा रही है।
चिकित्सक की माने तो जिले के आजाद नगर कॉलोनी निवासी एक महिला ने बताया कि उसकी शादी को दस साल हो गए हैं। लेकिन आज तक बच्चा नहीं हुआ है। शुरुआती दौर में पति ने जल्दी बच्चा न करने की बात कही। जिसके बाद उसकी एक सहेली ने दवाई बताई और दो-तीन बार सेवन करने से बाद समस्या पैदा हो गई। अब उनका उपचार दिल्ली एम्स में चल रहा है।

जिले के ही सिनौली गांव निवासी एक महिला की शादी को 12 साल हो गए हैं। लेकिन बच्चा नहीं है। शादी के बाद दंपत्ति के बीच जल्दी बच्चा पैदा न करने पर सहमति बनी थी। उसके बाद से आज तक महिला की गोद सुनी है। उन्होंने बिना चिकित्सक की सलाह के दवा खाई थी। कई बार गर्भ ठहरा, लेकिन हर बार कोई दिक्कतें उत्पन्न हो जाती हैं।

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ0 अंजू बाला ने बताया कि जिला अस्पताल सहित सीएचसी व पीएचसी पर 95 प्रतिशत महिलाएं बिना चिकित्सक के परामर्श के गर्भपात दवाएं खा लेती हैं और बताती हैं कि अब समस्याएं हो रही हैं। गलत ढंग से दवाइयों के सेवन से बांझपन की समस्या देखने में आ रही है। इसमें महिलाओं को अत्यधिक रक्तस्राव, एक से डेढ़ महीने तक रक्तस्राव,लंबे समय तक रक्तस्राव से संक्रमण की परेशानी सामने आ रही है। सीएचसी अधीक्षक डॉ. विजय कुमार ने बताया कि सीएचसी में इलाज के लिए आने वाली महिलाएं पूछताछ में बताती हैं कि गर्भ गिराने को दो-तीन बार दवाओं का उपयोग किया। पांच प्रतिशत महिलाओं की जांच में संक्रमण से ट्यूब्स बंद मिले। जिससे मां बनने का सुख प्राप्त नहीं हुआ।

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता का कहना है कि दवाओं का सही तरीके से उपयोग नहीं होने से कई बार बच्चेदानी में मांस के टुकड़े रह जाते हैं। इससे हालत खराब होने पर इनका ऑपरेशन कर निकाला जाता है। उन्होंने बताया कि अनचाहे गर्भ से बचने के लिए परिवार नियोजन अपनाना बेहतर होता है लेकिन गर्भपात की दवा खानी है तो चिकित्सक से परामर्श जरूर लें। अनचाहा गर्भ गिराने के लिए बार-बार दवाएं नहीं खाएं। रक्तस्राव बंद नहीं तो बिना देर चिकित्सक के पास जाएं।

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