69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले को लेकर समाजवादी पार्टी योगी सरकार और भाजपा को निशाने पर लिया है. अखिलेश यादव ने इस मामले में भाजपा पर दलित-पिछड़ों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है. अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आया अदालत का फ़ैसला भाजपा सरकार की ढीली पैरवी का नतीजा है. अखिलेश ने कहा कि दलित-पिछड़ों का हक़ मारने के लिए भाजपा आरक्षण को विधायी माया जाल में फंसाती है. सपा प्रमुख कहा कि इस समस्या का सही समाधान जातीय जनगणना ही हो सकती है ताकि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण हो सके.
न्याय का रास्ता देख रहे हैं अभ्यर्थी
वहीँ इसी मुद्दे पर इसी मुद्दे को लेकर सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि बेसिक शिक्षक भर्ती घोटाला हुआ है, हजारों अभ्यर्थियों को नियुक्ति नही मिल सकी, अभ्यर्थियों की बातों पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। उम्मीदवारों ने राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग में वाद भी दाखिल किया। पिछड़ा आयोग ने भी माना कि नियुक्ति में आरक्षण का पालन नहीं किया गया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव आ गए हैं मगर अभ्यर्थियो को अभी तक न्याय नहीं मिल रहा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कल ही अभ्यर्थियों ने मुलाकात की है, सपा इन्हें दिलाने के लिए इन अभ्यर्थियों के साथ खड़ी है।
आरक्षण नियमों का हुआ उल्लंघन
बता दें कि सहायक शिक्षक भर्ती के लिए यूपी सरकार ने 2020 में लिस्ट जारी की थी जिसके बाद शिक्षक भर्ती में आरक्षण कोटे को लेकर अदालत में याचिका दायर की गई थी. लगभग 19 हजार अभ्यर्थियों ने शिक्षक भर्ती में जारी कटऑफ से 65 प्रतिशत ज्यादा अंक प्राप्त किए थे इसके बावजूद इन सभी उम्मीदवारों को जनरल कैटेगरी में शामिल नहीं किया गया था. इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरक्षित कोटे में ही पूरी कर दी गई थी जो कि आरक्षण के नियमों का घोर उल्लंघन था.