तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ बीआर अंबेडकर पर उनकी टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया। यह टिप्पणी उन्होंने मंगलवार को राज्यसभा में की थी। यह नोटिस राज्यसभा के प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 187 के तहत दाखिल किया गया । इसमें शाह द्वारा मंगलवार, 17 दिसंबर को संविधान के 75 साल पूरे होने पर बहस के जवाब के दौरान उच्च सदन में दिए गए बयान का हवाला दिया गया।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा शाह द्वारा अंबेडकर का कथित अपमान किए जाने के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों को स्थगित कर दिया गया। अमित शाह ने उच्च सदन में कहा था कि अम्बेडकर का नाम लेना एक फैशन हो गया है। इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। अमित शाह ने अपनी बात को आगे जारी रखते हुए कहा कि कांग्रेस अंबेडकर का नाम ले रही है इससे भाजपा को ख़ुशी है लेकिन कांग्रेस पार्टी को उनके प्रति अपनी वास्तविक भावनाओं के बारे में भी बोलना चाहिए।
अमित शाह ने बताया कि कैसे अंबेडकर को आर्टिकल 370 समेत तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीतियों से असहमति का हवाला देते हुए पहले कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। इससे पहले आज कांग्रेस पार्टी ने अमित शाह के बयान पर उनसे इस्तीफा मांगा साथ ही, पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री से उक्त टिप्पणी के लिए माफी मांगने की भी मांग की।
वहीँ बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अमित शाह के बयान पर अपनी टिप्पणी में भाजपा के साथ कांग्रेस पार्टी को भी लपेटा। मायावती ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर की आड़ में कांग्रेस व बीजेपी एण्ड कम्पनी के लोगों को अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने की बजाय उनका पूरा आदर-सम्मान करना चाहिये।