उत्तरकाशी- देवभूमि उत्तराखंड पर प्रकृति का ऐसा आशीर्वाद है कि उसे प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना भी माना जाता है. ऐसा आशीर्वाद जो आपकी धार्मिक और रोमांचक यात्रा को और भी आनंदित कर देता है. आज हम आपको उत्तराखंड की इस पहचान से अलग एक पर्यटक स्थल के बारे में बताते हैं जिसे पहाड़ों का रेगिस्तान भी कहा जाता है. कभी भारत और चीन के बीच व्यापार का रास्ता रही यह घाटी हमेशा से पर्यटकों के लिए रोमांच का सबब रही है. हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी के ‘नेलांग घाटी’ की जहां आपको तिब्बती पठार के 360 डिग्री के बेहतरीन नजरों के साथ-साथ आपको भारत-चीन व्यापार मार्ग के कई अवशेष भी देखने को मिलते हैं.
उत्तराखंड का लद्दाख
विभिन्नता से भरा उत्तराखंड अलग-अलग जगहों को अलग-अलग नामों से नवाजा गया है. यहां आपको मिनी स्वीटजरलैंड, लघु कश्मीर जैसे कई तरह के नाम सुनने को मिलेंगे. अपने वानस्पतिक सुंदरता के लिए जाने जाने वाला उत्तराखंड के उत्तरकाशी में नेलांग घाटी को उत्तराखंड का लद्दाख के रूप में भी जाना जाता है. नेलांग घाटी मैं आपको न केवल तिब्बती पठार देखने को मिलेंगे बल्कि भारत चीन व्यापार मार्ग के अवशेष भी देखने को मिलते हैं. साल भर बर्फ से ढके रहने वाले नेलांग घाटी में आपको लद्दाख की तरह ही ऊंची सड़कें मिलेंगी. इलाके की खूबसूरती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल लाखों पर्यटक नेलांग वैली घूमने के लिए आते हैं.
पहाड़ का रेगिस्तान
नेलांग वैली को पहाड़ का रेगिस्तान भी कहा जाता है. दरअसल प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत उत्तराखंड का यह एकमात्र क्षेत्र है जहां पर वनस्पति नहीं है. यहां आपको तिब्बत के पठार सहित भारत-तिब्बत- चीन व्यापार के दुर्गम पैदल मार्ग देखने को मिलेंगे. समुद्र तल से करीब 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित नेलांग वैली मैं घूमने के लिए पर्यटको को जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद इलाके में पर्यटकों की आवाजाही को बंद कर दिया गया था, लेकिन 52 साल बाद पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इससे खोल दिया गया. आज भी इस इलाके में विदेशी पर्यटक को पर पूरी तरह से प्रतिबंध है.