देहरादून- अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो यह खबर आपके लिए इंटरेस्टिंग हो सकती है. आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे ट्रैक के बारे में बताएंगे जो ना केवल अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है अपितु प्राकृतिक सौंदर्य और रोमांचक ट्रैक सभी को आकर्षित करता है. हम बात कर रहे हैं नाग टिब्बा ट्रेक (Nag Tibba Trek) की, नाग टिब्बा जिसका अर्थ ‘सांप वाली चोटी’ है. स्थानीय लोगों के लिए नाग टिब्बा धार्मिक महत्व रखता है. जबकि यहां आने वाले ट्रैकर 2 दिन के ट्रैकिंग का लुफ्त उठाने के लिए साल भर यहां आते हैं.
अगर आप ट्रैकिंग और एडवेंचरस एक्टिविटीज का शौक रखते हैं, तो घने जंगलों और प्राकृतिक सौंदर्य से ओतप्रोत नागटिब्बा की पहाड़ी आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. नाग टिब्बा से आप हिमालय की पहाड़ियों के मनोरम दृश्य का आनंद भी ले सकते हैं. नाग टिब्बा जाने के लिए दो रास्ते हैं पहला रास्ता केवलसारी से जबकि दूसरा रास्ता पंतवारी से जाता है. नाग टिब्बा समुद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां आपको नाग देवता का मंदिर भी मिलेगा.
नाग तिब्बा की धार्मिक मान्यता
नागटिब्बा को “नाग देवता” यानी सांपों के देवता का निवास स्थान माना जाता है. टिब्बा का अर्थ यहां पर पहाड़ी से है. यहां के स्थानीय लोग अपने पालतू जानवरों की रक्षा के लिए नाग देवता से प्रार्थना करने के लिए आते हैं. सर्दियों में यहां बहुत कड़ाके की ठंड पड़ती है.जबकि गर्मियों का मौसम यहां बहुत ही सुहाना होता है.

ट्रैकिंग का रास्ता और आसान तरीका
नाग तिब्बा ट्रैक पर जाने के लिए दो रास्तों का उपयोग ट्रैकर्स करते .जिसमें पंतवारी से जाने वाला रास्ता अधिकतर ट्रैकर्स अपनाते हैं.देहरादून से 5 घंटे का सफर तय कर आप पंतवारी गांव पहुंच सकते हैं. पंतवारी गांव पहुंचने के बाद नाग तिब्बा मंदिर के लिए ट्रैक शुरू होता है. इस पूरी ट्रैकिंग में आपको 2 दिन का समय लग सकता है. जिसमें बीच में एक पड़ाव भी शामिल है. नाग टीब्बा के लिए ट्रैक की शुरुआत पंत वारी से 2 किलोमीटर आगे से होती है. यहां से आपको पहले पड़ाव यानी नाग तिब्बा बेस कैंप पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर का ट्रैक तय करना होता है.जिसमें तकरीबन 8 से 9 घंटे लग सकते हैं. यहां पर रात्रि विश्राम के बाद आप दूसरे पड़ाव यानी नागतिब्बा सबमिट तक पहुंचने के लिए अपनी ट्रैकिंग शुरू करेंगे. जहां से 14 किलोमीटर का सफर तय कर आप नाग तिब्बा पहुंच सकते हैं. आपको अपने ट्रेकिंग का दूसरा पड़ाव सुबह जल्दी शुरू करना होगा ताकि आप समय रहते हैं वापस बेसकैंप आ सके. ट्रैकिंग के दौरान आप अपने साथ खाना, रहने का सामान एंड स्लीपिंग बैग आदि जरूर साथ रखें.जो आपको पंतवारी गांव में मिल जाएंगे.