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अगर आप कहीं घूमने का बना रहे प्लान तो ये जगह रहेगी बेस्ट

ट्रेवलअगर आप कहीं घूमने का बना रहे प्लान तो ये जगह रहेगी...

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क्या कोई ऐसा भी है जिसे फूलों से प्यार न हो हमको तो नहीं लगता ऐसा कोई होगा भी , अगर हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताये जहां आपको फूलो से साथ साथ नेचर की भी सुंदरता देखने को मिलेगी , वैसे तो आपने फूलो के एक या दो गुच्छे ही देखे होंगे , लेकिन इस घाटी में आपको दूर दूर तक फूल ही फूल देखने को मिलेंगे , अब सोच में पड़ गए होंगे की ऐसी जगह है कहा, तो हम आपको बता दे , ये जगह उत्तराखंड में स्तिथ है जिसे ‘फ्लावर ऑफ वैली’ के नाम से जाना जाता है। ये जगह चमोली क्षेत्र में पड़ती है, आपको बता दे की ये केवल 3 से 4 महीने के लिए ही खुलती है।

ये बात आपको नहीं पता होगी की ये घाटी विश्व धरोहर स्थल की लिस्ट में भी शामिल है, तो अब आप इसी से अंदाजा लगा सकते है की ये कितनी खूबसूरत होगी और इसका कितना महत्व होगा । इतना ही नहीं अगर आप ट्रेकिंग का शौक रखते है तो अभी ये जगह आपके घूमने के लिए बेस्ट रहेगी , क्योकि इससे दो काम हो जायेंगे एक तो आप ट्रैकिंग कर पाएंगे और दूसरा आप प्रकृति का मजा भी ले जायेंगे। अगर आप एक भाग दौड़ भरी ज़िंदगी से दूर कुछ दिन सुकून से गुजरना चाहते है तो भी ये जगह आपके लिए बेस्ट रहेगी ।

किसने की खोज

अगर आप इस स्वर्ग से भी सुन्दर जगह को ढूंढने में किसी का धन्यवाद करना चाहते है तो आप वनस्पति शास्त्री ” फ्रेक सिडनी स्माइथ ” का धन्यवाद कर सकते है , एक बार जब वे पर्वतारोहण से वापस आ रहे थे, तो वे कुछ रास्ते सा भटक गए , सही रास्ता का पता लगाते और भटकते भटकते वे फूलों की घाटी पहुंचे गए। फूलों से खिली सजी इस सुन्दर जगह को देख कर मानो वे तो बिल्कुल मंत्रमुग्ध ही हो गए। इतनी सुन्दर जगह देख कर उन्होंने कुछ महीने रहने का निर्णय किया। उन्होंने इस वैली पर एक वैली और फ्लावर्स नमक एक किताब भी लिखी , जिसके बाद ही ये घाटी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गई है, इसकी सुंदरता इस चीज से और बढ़ जाती है इस घाटी का रंग हर 15 दिन में बदलता हुआ दिखती देता है।

यहां तक कैसे पहुंचे

अगर आपको फूलों की घाटी पहुंचना है तो आपको बद्रीनाथ हाइवे से गोविंदघाट वाले मार्ग पर जाना होगा । फिर वहां से लगभग तीन किमी सड़क मार्ग से पुलना तक जाना होगा और जब आप वहां तक पहुंच जायेंगे फिर आपको 11 किमी की पैदल ट्रैकिंग करनी होगी , ये ट्रैकिंग हेमकुंड यात्रा के बेस कैंप से शुरू होगी और घाघरिया तक जाएगी। यही से लगभग तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी स्थित है। अगर आप फूलो की घाटी जा रहे है तो इस बात का ज़रूर ध्यान रखे की खाने पीने का सामान नीचे बेस कैंप से ही ले ले , क्योंकि वहां ऊपर आपको कोई दुकान नहीं मिलेगी। अगर आप यहां जाना चाहते है तो आपको इसके लिए रजिस्ट्रेशन फीस देनी पड़ती है , जिसके बाद ही आप यहां जा सकते है तो और इस सुन्दर धरोहर को आँखों में भर सकते है।

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