उत्तरकाशी- हरिद्वार में आपने गंगा के घाट हर की पौड़ी का नाम तो सुना ही होगा लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसी जगह है जो ‘हर की दून’ के नाम से जाना जाता है ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए यह नाम हमेशा से रोमांच पैदा कर देने वाला है. हर की दून उत्तरकाशी में रूपिन और सुपिन नदियों के इर्द-गिर्द के पर्वत की गोद में बसा इलाका है. अत्यंत दुर्गम क्षेत्र उत्तर में हिमाचल तो पूर्व में तिब्बत से सटा हुआ है. ‘हर की दून’ महाभारत काल के धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ ट्रैकिंग एवं साहसिक गतिविधियों के शौकीन लोगों के लिए किसी रोमांच से कम नहीं है.
स्वर्गारोहिनी चोटी के दर्शन
हर की दून को भगवान की भूमि भी कहा जाता है. समुद्र तल से करी 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हर की दून रोमांचक गतिविधियों के साथ-साथ वन्य जीव अभ्यारण के लिए भी जाना जाता है यहां आने वाले पर्यटकों के लिए ट्रैकिंग के दौरान कई तरह की वन्यजीव के दीदार इस ट्रेकिंग को और भी दिलचस्प बना देते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर की दून से स्वर्गारोहिनी चोटी के भी दीदार होते हैं मान्यता है कि महाभारत काल में युद्ध के बाद युधिष्ठिर और उनका कुत्ता इसी रास्ते से स्वर्ग गए थे इस इलाके के लोगों के पूर्वजों का महाभारत के पात्रों पर बहुत प्रभाव देखने को मिलता है इस इलाके के आसपास के क्षेत्र के पूर्वजों को महाभारत में पौराणिक सही योद्धाओं और राजाओं कौरवों और पांडवों के शासनकाल में कहा जाता था.
साहस का ट्रैक मार्क है ‘हर की दून’
उत्तराखंड के लोकप्रिय ट्रैकिंग में से एक हर की दून गर्मियों के साथ-साथ सर्दियों के मौसम में भी सैलानियों को लुभाने का काम करती है. दिसंबर से मार्च तक इस घाटी में बर्फ की सफेद चादर बिछी होती है. यहां पर ट्रेकिंग के लिए 1 हफ्ते का समय लगता है. हर की दून के आसपास की हिमालय की चोटियां यहां आने वाले सैलानियों के स्वागत के लिए तैयार रहती हैं. ‘हर की दून’ ट्रैक से आपको ग्रुप ऑफ पीक, काला नाग जिसे ब्लैक की कहते हैं, बंदरपूंछ और कई अन्य दर्शनीय चोटिया आपके स्वागत के लिए लालायित रहती हैं. ‘हर की दून’ ट्रैक पर आपको बेशुमार प्राकृतिक सौंदर्य आपकी यात्रा को आनंदित कर देता है.