सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के पिछले आदेश के खिलाफ नोएडा टोल ब्रिज कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनटीबीसीएल) की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंपनियां टोल टैक्स नहीं लगा सकतीं। कोर्ट ने यह भी कहा, नोएडा ने टोल लगाने का अपना अधिकार कंपनी को सौंपकर अपने अधिकार का अतिक्रमण किया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि डीएनडी फ्लाईवे पर टोल नहीं लगाया जाना चाहिए क्योंकि नोएडा टोल ब्रिज ने पहले ही परियोजना लागत, रखरखाव लागत और पर्याप्त मुनाफा वसूल कर लिया है, इसलिए आगे टोल लगाने का कोई मामला नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना लागत की गणना के फॉर्मूले की भी आलोचना की और कहा कि यह भाषा हमेशा के लिए वसूली की अनुमति देने के लिए बनाई गई है, जो संविधान के साथ असंगत है। नोएडा टोल ब्रिज के चयन से पहले प्रतिस्पर्धी बोलियां आमंत्रित करने के लिए निविदा की कमी के लिए अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को कड़ी फटकार लगाई।
2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि कंपनी अब डीएनडी का उपयोग करने वाले वाहनों से टोल, उपयोगकर्ता शुल्क नहीं ले सकती क्योंकि फर्म ने पहले ही रिटर्न, ब्याज और लागत वसूल कर ली है। उच्च न्यायालय ने पहले भी परियोजना लागत के दोषपूर्ण फॉर्मूले की आलोचना की थी। लागत वसूलने के लिए 100 साल का फॉर्मूला पर्याप्त नहीं है।
हालांकि, नोएडा टोल ब्रिज कंपनी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिसने 2017 में आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और आज भी डीएनडी टोल मुक्त है।